तालिबान आतंकवादी संगठन है या नहीं, उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से पूछे ये सवाल
जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को अपने कार्यालय में पार्टी के पूर्व विधायकों, जिला अध्यक्षों और निर्वाचन क्षेत्र के अध्यक्षों के साथ बैठक की.
नई दिल्ली:
जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को अपने कार्यालय में पार्टी के पूर्व विधायकों, जिला अध्यक्षों और निर्वाचन क्षेत्र के अध्यक्षों के साथ बैठक की. अफगानिस्तान संकट पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि तालिबान एक आतंकवादी संगठन है या नहीं, कृपया स्पष्ट करें कि केंद्र सरकार उन्हें कैसे देखती है. अगर तालिबान एक आतंकवादी संगठन है तो आप उससे क्यों बात कर रहे हैं? अगर ऐसा नहीं है तो क्या आप (केंद्र) तालिबान को एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र गए? मेक अप योर माइंड (Make up your mind)...
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फारूक अब्दुल्ला बोले- ऐसे J&k में नेकां होगी सबसे बड़ी पार्टी
आपको बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Dr. Farooq Abdullah) ने मंगलवार को कहा था कि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो नेशनल कांफ्रेंस जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सबसे बड़ी पार्टी होगी. उन्होंने जो किया उसके लिए उन्हें (केंद्र) जवाबदेह ठहराया जाएगा. उन्हें लोगों के लिए काम करना होगा. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें खेद है कि उनकी पार्टी ने 2018 में पंचायत चुनाव नहीं लड़ा था. अब्दुल्ला मंगलवार को संसदीय आउटरीच कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे.
J&K| Either Taliban is a terror organization or not, please clarify to us how you see them. If they're a terror group why're you talking to them? If not then will you (Centre) move to United Nations & have it delisted as a terror organisation? Make up your mind:Omar Abdullah, NC pic.twitter.com/VYGkPcutHX
— ANI (@ANI) September 1, 2021
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे खेद है कि मेरी पार्टी ने पंचायत चुनावों में भाग नहीं लिया. उन्होंने कहा कि ये राजनेता हैं जो देश के साथ खड़े हैं और जिन्हें आतंकवादियों ने निशाना बनाया है. उन्होंने कहा कि यह देश के लिए है कि वे उनकी रक्षा करें.
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अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी आम जनता के फोन नहीं उठाते हैं. उन्होंने उपराज्यपाल से सरकारी अधिकारियों को यह आदेश देने के लिए कहा कि वे लोक सेवक हैं और लोगों के प्रति जवाबदेह हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही एक निर्वाचित सरकार होगी, जो सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाएगी.
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