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Hurriyat Conference( Photo Credit : News Nation )
केन्द्र सरकार हुर्रियत के दोनों गुटों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत बड़ा एक्शन ले सकती हैं. दो दशकों से जम्मू कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुट अलगाववादी आंदोलन की अगुवाई कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में अलगाववादी नेताओं की कथित संलिप्तता का संकेत आतंकवादी समूहों के फंडिंग में मिलता रहा है. जम्मू कश्मीर के अधिकारियों के मुताबिक केन्द्र सरकार के द्वारा हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुटों पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगाए जाने की प्रबल संभावना है. कथित तौर पर जम्मू कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्य दुख्तरान-ए-मिल्लत (डीईएम), हिज्बुल-मुजाहिदीन (एचएम), और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों के साथ मिलकर काम कर कहा है. बता दें कि यह सभी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है.
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कुछ संगठनों द्वारा पाकिस्तान में कश्मीरी छात्रों को एमबीबीएस में सीटें देने के नाम पर धन एकत्र किए गए. उम्मीदवारों से एकत्रित किए गए धन का उपयोग आतंकवादी संगठनों के संचालन हेतु फंडिंग के लिए किया जा रहा था. बता दें कि उक्त बातें एमबीबीएस सीटें देने की हालिया जांच से मिले संकेत से मिलता है. सूत्रों के मुताबिक पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत एकत्र किए जा चुका है. जिसमें कई विश्वसनीय साक्ष्य है.
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जम्मू कश्मीर में 90 के दशक में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 26 समूहों के साथ पहली बार अस्तित्व में आया. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में कई पाकिस्तानी समर्थक और दुख्तारन-ए-मिल्लत, जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ जैसे कई अलगाववादी संगठन शामिल थे. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को अवामी एक्शन कमेटी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का समर्थन प्राप्त था. हालांकि 2005 में अलगाववादी समूह में दो फाड़ हो गया. जिसमें एक गुट नरमपंथी समूह तो वहीं दूसरा कट्टरपंथी समूह बना. नरमपंथी समूह का नेतृत्व मीरवाइज का था. वहीं कट्टरपंथी समूह का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी ने किया. अब तक केन्द्र सरकार ने 2019 में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून यूएपीए के तहत जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ को प्रतिबंधित कर चुका है.
HIGHLIGHTS
- हुर्रियत के दोनों गुटों पर लग सकता है प्रतिबंध
- यूएपीए के तहत केन्द्र सरकार कर सकती है कार्रवाई
Source : News Nation Bureau