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Amarnath Yatra: छड़ी मुबारक की पूजा के साथ अमरनाथ यात्रा का समापन, 4.42 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

Amarnath Yatra 2023: अमरनाथ यात्रा का गुरुवार को समापन हो गया. इससे पहले तड़के छड़ी मुबाकर पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर पहुंची. जहां विधि विधान से पूजा अर्चना और दर्शन के बाद बाबा बर्फानी के दर्शन किए गए और यात्रा का समापन हो गया.

Updated on: 31 Aug 2023, 01:19 PM

highlights

  • छड़ी मुबारक की पूजा के साथ अमरनाथ यात्रा समाप्त
  • 62 दिनों तक चली पवित्र अमरनाथ यात्रा
  • 4.42 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

New Delhi:

Amarnath Yatra 2023: अमनाथ यात्रा का आज (गुरुवार) को समापन हो गया. 62 दिनों तक चली पवित्र यात्रा के समापन से पहले छड़ी मुबारक गुरुवार तड़के पवित्र गुफा में पहुंची. उसके बाद छड़ी मुबारक के दर्शन और पूजा के बाद अमरनाथ यात्रा समाप्त हो गई. पवित्र गुफा में भगवान शंकर की पूजा के साथ इस साल की तीर्थ यात्रा की मुख्य पूजा का अनुष्ठान भी संपन्न हो गया. बता दें कि इससे पहले बुधवार को छड़ी मुबारक शेषनाग से पंजतरणी के लिए रवानी हुई. 31 अगस्त को तड़के छड़ी मुबारक अमरनाथ गुफा मंदिर पहुंची. उसके बाद पूजा-अर्चना और दर्शन के बाद यात्रा सम्पन्न हो गई.

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1 जुलाई को शुरू हुई थी अमरनाथ यात्रा

हर साल होने वाली पवित्र अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ 1 जुलाई 2023 को हुआ था. 62 दिन तक चली इस यात्रा को खराब मौसम के चलते कई बार रोकना पड़ा. इस दौरान हजारों श्रद्धालु कई दिनों तक जम्मू-कश्मीर में स्थित कई कैंपों में फंसे रहे. मौसम ठीक होने के बाद अमरनाथ यात्रा को फिर से शुरू किया गया और 31 अगस्त को इस यात्रा का समापन हो गया. 

4 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

बता दें कि साल भी हर साल की तरह लाखों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ गुफा मंदिर पहुंचे. इस साल करीब 4 लाख 42 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए. बता दें कि इस साल हुई अमरनाथ यात्रा के दौरान कई तीर्थ यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा संपन्न होने के बाद यात्रा के दोनों मार्गों पर सफाई अभियान चलाया जाएगा.

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अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के सदस्य और स्थानीय लोग रास्तों की सफाई करेंगे. बता दें कि बाबा बर्फानी की गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं. जिसमें एक रास्ता पहलगाम से है जिसकी चढ़ाई आसान है. करीब 47 किमी के इस रास्ते को तय करने में 2-3 तीन दिन का समय लगता है. वहीं दूसरा रास्ता बालटाल होते हुए है. ये नया ट्रैकिंग रूट है, जो 14 किमी का है. इसकी चढ़ाई एक दिन में की जा सकती है.