Himachal: चीफ इंजीनियर विमल नेगी केस में नया मोड़, हाईकोर्ट के इस फैसले ने ASI पंकज शर्मा को दी राहत

High Court Decision: न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को उसके परिवार से मिलने की अनुमति दी जाए.

High Court Decision: न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को उसके परिवार से मिलने की अनुमति दी जाए.

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Yashodhan.Sharma
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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (social)

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निलंबित एएसआई पंकज शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने पंकज शर्मा को पुलिस गेस्ट हाउस में 24 घंटे निगरानी में रखने के फैसले को गलत ठहराया और तुरंत सभी पाबंदियां हटाने के निर्देश दिए. अदालत ने साफ कहा कि सुरक्षा के नाम पर किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता.

पेन ड्राइव गायब करने के आरोपों के बीच विवाद

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निलंबित एएसआई पंकज शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने चीफ इंजीनियर विमल नेगी के शव के पास से मिली पेन ड्राइव को गायब किया था. इसी मामले को लेकर वह जांच के दायरे में आए और उन्हें निलंबित कर दिया गया. लेकिन याचिकाकर्ता का आरोप था कि निलंबन के बावजूद उन्हें किसी कानूनी आधार के बिना पुलिस गेस्ट हाउस में बंद रखा गया.

अदालत के सख्त निर्देश

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को उसके परिवार से मिलने की अनुमति दी जाए. साथ ही यह भी कहा कि भविष्य में उसकी सुरक्षा से जुड़े फैसले उसी को विश्वास में लेकर किए जाएं. अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि यदि सुरक्षा की जरूरत है तो वह उचित प्रबंध करे, लेकिन मौलिक अधिकारों का हनन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

सरकार और सीबीआई की दलीलें

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अनूप रतन ने अदालत को बताया कि पंकज शर्मा को खतरे की आशंका के चलते यह सुरक्षा दी गई थी. लेकिन अब जबकि मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है, इसलिए राज्य सरकार सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए तैयार है. वहीं, सीबीआई ने अदालत को साफ किया कि उन्होंने पंकज शर्मा को हिरासत में रखने का कोई निर्देश नहीं दिया है और इस कार्रवाई से उनका कोई संबंध नहीं है.

अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया

पंकज शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि बिना किसी न्यायिक स्वीकृति और कानूनी आधार के 24 घंटे निगरानी में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने अदालत से अपने सरकारी आवास भराड़ी में परिवार के साथ रहने की अनुमति मांगी थी. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सरकार को आदेश जारी करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.

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