Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक हैरान कर देने वाला फरमान सुनाया है, जो कि काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जा रहा है कि अदालत ने एक पति को आदेश दिया है कि वह अपनी पत्नी को हर महीने 12 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ते के रूप में देगा, भले ही उसकी खुद की मासिक आय केवल 15 हजार रुपये है. कोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक पारिवारिक अदालत पति की आय, आईटीआर और बैंक स्टेटमेंट की जांच पूरी नहीं कर लेती.
ये है पूरा मामला
यह मामला एक ऐसे पति का है जो 2010 से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत कर रहा है. उसने जनवरी 2016 में दिल्ली सरकार में शिक्षिका पद पर कार्यरत महिला से शादी की थी. हालांकि, शादी के करीब 18 महीने बाद ही जुलाई 2017 में पत्नी ने पति को छोड़ दिया और तब से दोनों अलग रह रहे हैं.
पत्नी ने जानभूझकर छोड़ी नौकरी
पति का कहना है कि उसकी पत्नी एक सरकारी शिक्षिका है और उसकी आय लगभग 40 से 45 हजार रुपये थी. उसने आरोप लगाया कि पत्नी ने जानबूझकर नौकरी छोड़ दी और अब वह गुजारा भत्ता मांग रही है, जबकि बच्चे की पढ़ाई का अधिकांश खर्च दिल्ली सरकार उठाती है.
इसलिए छोड़ा था काम
दूसरी ओर, पत्नी की तरफ से वकीलों ने दलील दी कि उसने अपने नाबालिग बच्चे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया, क्योंकि घर में बच्चों की देखरेख के लिए कोई दूसरा नहीं था. पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि पति को कई संपत्तियों से किराए की आय होती है, जिसकी जानकारी उसने कोर्ट से छिपाई है.
पत्नी ने कोर्ट को बताया कि स्कूल की दूरी ज्यादा होने और घर के पास नौकरी न मिलने की वजह से उसे अपनी सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी. ऐसे में बच्चे की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी उसी पर आ गई.
कोर्ट ने दिया ये बयान
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई महिला सिंगल पैरेंट के रूप में अपने बच्चे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ती है, तो इसे स्वेच्छा से बेरोजगारी नहीं माना जाएगा. ऐसी स्थिति में वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार है.
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