Haryana: स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप, प्रसव के दौरान महिला का गर्भाशय फटा, नर्स ने ठूंसा कपड़ा

डॉक्टरों ने गर्भाशय में गंभीर चोट पाई और 25 टांके लगाने पड़े. परिवार का आरोप है कि इस दौरान इलाज के लिए 25 हजार रुपये का खर्च भी उठाना पड़ा.

डॉक्टरों ने गर्भाशय में गंभीर चोट पाई और 25 टांके लगाने पड़े. परिवार का आरोप है कि इस दौरान इलाज के लिए 25 हजार रुपये का खर्च भी उठाना पड़ा.

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Yashodhan.Sharma
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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (Social)

Haryana: हरियाणा के नूंह जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. हाल ही में बिछोर पीएचसी में एक और गंभीर घटना हुई है, जहां प्रसव के दौरान महिला का गर्भाशय फट गया. परिजनों का आरोप है कि स्टाफ नर्सों की लापरवाही और गलत तरीके से किए गए प्रसव के कारण महिला की जान खतरे में पड़ गई.

पति ने दर्ज कराई शिकायत

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बिछोर निवासी शहाजान ने बताया कि 1 सितंबर को उसकी पत्नी अरसीदा को प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद उसे बिछोर पीएचसी में भर्ती कराया गया. आरोप है कि वहां मौजूद स्टाफ नर्स निशा और सफाईकर्मी बीरबती ने बिना डॉक्टर की मौजूदगी के महिला को इंजेक्शन देकर प्रसव कराने की कोशिश की. इस दौरान बच्चे को जबरन खींचने का प्रयास किया गया, जिससे गर्भाशय फट गया और महिला को भारी रक्तस्राव होने लगा. हद तो तब हो गई जब खून नहीं रुका तो नर्सों ने पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में कपड़ा ठूंस दिया. इसके बाद स्थिति बिगड़ने पर नर्सों ने परिजनों को कुछ भी बताए बिना महिला को छुट्टी दे दी.

निजी अस्पताल में हुआ इलाज

जब महिला की हालत बिगड़ी और खून का बहाव नहीं रुका तो परिजन उसे आनन-फानन में पुन्हाना के निजी अस्पताल ले गए. वहां जांच के बाद डॉक्टरों ने गर्भाशय कपड़ा निकाला और 25 टांके लगाने पड़े. परिवार का आरोप है कि इस दौरान इलाज के लिए 25 हजार रुपये का खर्च भी उठाना पड़ा. डॉक्टरों ने यह भी बताया कि 40 दिन बाद महिला की दोबारा सर्जरी करनी पड़ेगी, जिसमें गर्भाशय निकालना पड़ सकता है.

परिजनों पर दबाव बनाने का आरोप

महिला के स्वजनों का कहना है कि घटना के बाद जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराई तो स्टाफ नर्सों ने उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया. परिजनों ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले की जानकारी करीब दो घंटे तक छिपाई गई और नर्सों ने गलत नाम बताकर गुमराह करने की कोशिश भी की.

अधिकारियों की चुप्पी

इस मामले में जब सिविल सर्जन डॉ. सर्वजीत से संपर्क साधा गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. इससे विभाग की जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि, पुन्हाना के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. मानसिंह ने मीडिया को बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी और अगर लापरवाही साबित हुई तो कार्रवाई होगी.

नूंह जिले में यह तीसरा मामला है जब स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हुई है. इससे पहले जिला नागरिक अस्पताल और तावडू सीएचसी में भी गंभीर गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं. लगातार हो रही इन घटनाओं से लोगों का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से उठता जा रहा है.

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