हरियाणा की लैंड पूलिंग पॉलिसी पर छिड़ा विवाद, आम आदमी पार्टी ने लगाया आरोप

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि 10 एकड़ से कम जमीन रखने वाले 90 फीसदी किसानों को इस नीति से बाहर करके, उन्हें जानबूझकर दलालों के हवाले कर दिया गया है।

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि 10 एकड़ से कम जमीन रखने वाले 90 फीसदी किसानों को इस नीति से बाहर करके, उन्हें जानबूझकर दलालों के हवाले कर दिया गया है।

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Mohit Saxena
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aap Photograph: (social media)

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि हरियाणा में ई-भूमि पोर्टल के जरिए जो कागजी विकास की स्कीम चलाई जा रही है, ये असल में दलालों और बिल्डर लॉबी के लिए खुला लूटखसोट का रास्ता बन चुकी है. किसानों की जमीनों को सर्कल रेट से भी नीचे खरीदने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. 10 एकड़ से कम ज़मीन रखने वाले 90 फीसदी किसानों को इस नीति से बाहर   करके उन्हें जानबूझकर दलालों के हवाले कर दिया गया है. जमीन तो ली जा रही है, लेकिन न मुआवज़ा वाजिब है, न प्रक्रिया पारदर्शी. 

सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद रखी है 

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आरोप है कि किसान को सिर्फ सर्कल रेट पर धकेला जा रहा है, जबकि बाजार रेट उससे तीन से चार गुना ज़्यादा है.  मुआवजे के नाम पर झूठ परोस जा रहा है. जमीन के असली हकदार को ठगने का काम हो रहा है. जिन इलाकों में ई-भूमि पोर्टल के जरिए नीति चलाई गई है, वहां पहले से बड़े नेताओं ने सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद रखी है. क्या ये सिर्फ संयोग है या सत्ता का दुरुपयोग? जब किसान अपनी ज़मीन बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा, ये सबसे पहले उन्हीं नेताओं की जेबें भरेंगी जिन्होंने नीति लागू होने से पहले ही जमीनें खरीद लीं. 

कांग्रेस की भूमिका उतनी ही शर्मनाक है. पूरे प्रदेश में विपक्ष का नाम तक लेने वाला कोई नहीं दिखता. एक साल से नेता प्रतिपक्ष तक तय नहीं किया गया. हरियाणा के किसानों को अब तय करना होगा कि वे किसके साथ खड़े हैं, लूट की साजिश रचने वालों के साथ या उनके खिलाफ आवाज़ उठाने वाली ताकतों के साथ. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने जो सवाल उठाए हैं, वो सिर्फ राजनीतिक सवाल नहीं हैं, बल्कि हर खेत-मजदूर और किसान के जीवन-मरण का सवाल हैं.

कितनी जमीन किसानों से छीनी गई?

आम आदमी पार्टी ने सवाल पूछा कि 2014 से अब तक कितनी जमीन किसानों से छीनी गई? कितनी ज़मीन किस-किस कॉरपोरेट को बेची गई? कितनी नेताओं ने स्कीम लागू होने से पहले उन इलाकों में जमीन खरीदी? जवाब देना पड़ेगा, क्योंकि   ये जमीन सिर्फ एक टुकड़ा नहीं, ये हरियाणा के किसान की आत्मा है. और इस आत्मा को कोई सरकार, कोई मुख्यमंत्री, और कोई सत्ता संरचना, दलालों के हवाले नहीं कर सकती.

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