Gujarat: कौन है मोरबी का असली गुनहगार?, क्या मासूमों के हत्यारों को मिल पायेगी सजा

मोरबी पुल हादसे में मरने वालों की संख्या 135 हो चुकी है. इस दुर्घटना में मरने वालों में बच्चों की संख्या काफी ज्यादा. कई घर है जिनके चिराग हमेशा के लिए बुझ गए. कई मांग सूनी हो गई. कई माओं की गोद उजड़ गई.

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Sunder Singh
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Morbi Cable Bridge

file photo( Photo Credit : News Nation)

 मोरबी पुल हादसे में मरने वालों की संख्या 135 हो चुकी है. इस दुर्घटना में मरने वालों में बच्चों की संख्या काफी ज्यादा. कई घर है जिनके चिराग हमेशा के लिए बुझ गए. कई मांग सूनी हो गई. कई माओं की गोद उजड़ गई. लेकिन इस हादसे के असली गुनहगार कौन है इसका अभी तक पता नहीं चला है. मोरबी पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर इस मामले में अभी तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन आप भी जानिए कि आखिर गिरफ्तार किए गए ये 9 लोग कौन-कौन हैं. पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें पुल का संचालन करने वाली ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर, दो मरम्मत करने वाले कॉन्ट्रेक्टर पिता-पुत्र, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं.

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लेकिन बड़ा सवाल उठता है कि क्या ये लोग ही इस हादसे के असली गुनहगार हैं? क्या इसके लिए स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार नहीं है? क्या पुलिस की कोई जिम्मेदारी नहीं थी, जिसकी अनुमति के बिना ही ये पुल खोल दिया गया था? क्या उस नगर पालिका की कोई जिम्मेदारी नहीं जिसके फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना इस पुल को खोला गया? क्या ओरेवा कंपनी के मालिकों की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं थी जिन्होंने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुख्ता बंदोबस्त नहीं किए? ऐसे कई सवाल लोगों के मन में हैं.

FIR में ओरेवा के मालिक और CEO का नाम नहीं?
सवाल ये भी है कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार बड़ी मछली अभी भी कानून की पकड़ से बाहर है. मोरबी पुल हादसे के दोषियों के ख़िलाफ़ पुलिस ने गिरफ्तारी की कार्रवाई तो शुरु कर दी है लेकिन जो एफआईआर दर्ज हुई है,उसमें फिलहाल न तो ओरेवा कंपनी के मालिक और न ही उसके सीईओ को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. इसलिये सवाल उठ रहा है कि असली कातिल क़ानून के शिकंजे में आएंगे और ये भी कि क्या उन्हें कभी सजा मिल पायेगी? वह इसलिये की पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा के तहत मामला दर्ज किया है और ऐसे अपराधों का इतिहास बताता है कि सबूतों के अभाव में अक्सर ताकतवर अपराधी बच निकलते हैं और जुर्म का सारा ठीकरा छोटे कारिंदों के सिर फोड़ दिया जाता है.

135 मासूमों को कैस मिलेगा न्याय?
इसे प्रशासनिक सांठगांठ कहें या कुछ और लेकिन शुरुआती कार्रवाई से तो यही लगता है कि पुलिस ने मामला ही इतना कमजोर बनाया है,जिसमें असली कातिल अपने बचने का रास्ता निकाल ही लेंगे. इसलिये सवाल उठता है कि किसी की लापरवाही के चलते अपनी जान गंवाने वाले इन 135 मासूम लोगों के परिवारों को इंसाफ़ कैसे मिलेगा और उन्हें ये दिलाने में लिये लंबी कानूनी लड़ाई आखिर कौन लड़ेगा?  

हर हादसे के बाद उस पर सियासत होना कोई नई बात नहीं है,इसलिये मोरबी की इस दुर्घटना पर भी अगर विपक्षी दल असली दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए हायतौबा मचा रहे हैं,तो इस पर किसी को ऐतराज भला क्यों होना चाहिए. विपक्ष औऱ मीडिया का तो जनता के प्रति पहला फ़र्ज़ ही ये है कि सरकार जिस बात को दबाना-छुपाना चाहती है, उसे हर सूरत में उजागर किया जाये.  इतने बडे हादसे के गुनहगारों को बचाने की किसी भी स्तर से कोई भी कोशिश अगर होती है,तो उसका भी पर्दाफाश होना चाहिए.

भ्रष्टाचार से जुड़े हैं हादसे के तार?
मोरबी पुल पर हुए इस हादसे की एक बड़ी वजह कहीं न कहीं भ्रष्टाचार से भी जुड़ी है. बड़ा सवाल ये है कि घड़ियां और बिजली के उपकरण बनाने वाली जिस कंपनी के पास पुल की मरम्मत या रखरखाव करने का कोई अनुभव ही नहीं है,उसे इसका ठेका आखिर क्यों दिया गया?

प्रशासन से पूछे जाने वाले सवाल
जाहिर है कि इसमें प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत भी रही होगी. लेकिन ऐसे किसी भी अफसर के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से प्रशासन की नीयत पर सवाल तो उठेंगे ही. होना तो ये चाहिए था कि इस हादसे के तुरंत बाद पुल का ठेका देने से जुड़े तमाम अफसरों को सस्पेंड करके सरकार ये संदेश देती कि वह इस मामले में किसी को भी नहीं बख्शने वाली है. न तो मोरबी नगरपालिका ने और न ही जिला प्रशासन ने अभी तक इसका कोई जवाब दिया है कि झूलते हुए पुल पर ऐसे किसी हादसे की स्थिति में बचाव के पर्याप्त उपाय क्यों नहीं थे? इसके लिए सिर्फ प्राइवेट कंपनी को दोषी ठहराकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. नवीन कुमरा की रिपोर्ट 

HIGHLIGHTS

  • मोरबी पुल हादसे में मरने वालों की संख्या हुई 135
  • अभी तक 9 लोगों को किया गया गिरफ्तार, इरादतन हत्या का केस दर्ज

Source : News Nation Bureau

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