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कंवरबाई नु मामेरू योजना Photograph: (Grok AI)
गुजरात सरकार के आदिवासी विकास विभाग द्वारा शुरू की गई कंवरबाई नु मामेरू योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति समुदाय की बेटियों के विवाह के समय परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है. यह योजना पारंपरिक सामाजिक सहयोग की भावना को आधुनिक सरकारी सहायता से जोड़ती है, ताकि आदिवासी परिवारों पर विवाह का आर्थिक बोझ कम किया जा सके.
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
इस योजना के अंतर्गत प्रति विवाह ₹12,000 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. यह राशि सीधे पात्र परिवार को दी जाती है, जिससे विवाह से जुड़े आवश्यक खर्चों में मदद मिल सके. एक परिवार इस योजना का लाभ अधिकतम दो वयस्क बेटियों के विवाह तक प्राप्त कर सकता है.
पात्रता की शर्तें क्या है?
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक का गुजरात का मूल निवासी होना अनिवार्य है. लाभार्थी परिवार का अनुसूचित जनजाति से संबंध होना चाहिए. परिवार की वार्षिक आय ₹6,00,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए. विवाह के समय दुल्हन की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और दूल्हे की आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है.
अपात्रता और विशेष नियम क्या है?
पुनर्विवाह की स्थिति में इस योजना का लाभ नहीं दिया जाता है. सहायता के लिए आवेदन सगाई की तारीख से दो वर्ष के भीतर करना आवश्यक है. सामूहिक विवाह या सात फेरे समूह विवाह योजना के अंतर्गत विवाह करने वाली पात्र बालिकाएं दोनों योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकती हैं, यदि सभी शर्तें पूरी हों.
आवेदन प्रक्रिया क्या है?
आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रखी गई है. आवेदक को आदिवासी विकास निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करना होता है. पंजीकरण के बाद यूजर आईडी और पासवर्ड के माध्यम से लॉगिन कर संबंधित योजना का चयन किया जाता है. आवेदन फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के बाद आवेदन संख्या प्राप्त होती है, जिसके माध्यम से आवेदन की स्थिति ट्रैक की जा सकती है.
आवश्यक दस्तावेज क्या क्या लगेंगे?
योजना के लिए लड़की का आधार कार्ड, पिता या अभिभावक का आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण, आय प्रमाण पत्र, विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक या रद्द चेक की प्रति और पिता के निधन की स्थिति में मृत्यु प्रमाण पत्र आवश्यक हैं. कुल मिलाकर, कंवरबाई नु मामेरू योजना आदिवासी समुदाय के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में गुजरात सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है.
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