Gujarat Scheme: गुजरात सरकार ने गंगा स्वरूपा आर्थिक सहायता योजना के बजट में किया इजाफा, 3,015 करोड़ रुपये का आवंटन

Gujarat Scheme: ये काफी पुरानी योजना है. इसकी शुरुआत गुजरात सरकार की ओर से वर्ष 1979 में हुई थी. यह स्कीम विधवा ​महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है.

Gujarat Scheme: ये काफी पुरानी योजना है. इसकी शुरुआत गुजरात सरकार की ओर से वर्ष 1979 में हुई थी. यह स्कीम विधवा ​महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है.

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Mohit Saxena
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gujarat cm Photograph: (social media)

गंगा स्वरूपा आर्थिक सहायता योजना के 2025-2026 के बजट में गुजरात सरकार ने बढ़ोतरी की है. आपको बता दें, गुजरात सरकार की ओर से इस योजना के 2025-26 की बजट में 700 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई. इस योजना के 2024-2025 की बजट के लिए 2,362 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जिसको 2025-2026 में मोदी सरकार की ओर से बढ़ाकर 3,015 करोड़ रुपये कर दिया गया. हालांकि, ये काफी पुरानी योजना है जिसकी शुरुआत गुजरात सरकार की ओर से वर्ष 1979 में की गई. इस योजना की शुरुआत मूल रुप से विधवा महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी. 

2025 तक इतने पैसे किए जा चुके हैं आवंटित 

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दरअसल, गुजरात सरकार की ओर से फरवरी 2025 तक 16.50 लाख महिलाओं को कुल 2,164 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं. मोदी सरकार की ओर से गंगा सहायता आर्थिक सहायता योजना में हर वर्ष लगातार बढ़ोतरी की गई है. आपको बता दें इस योजना में 2020- 2021 में 549.71 करोड़ रुपये से लेकर 2025-2026 के लिए 3.015 करोड़ रुपये में कुल 500% कि वृद्धि हुई है. बीते पांच वर्षों में लाभ्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी  हुई है. एक ओर जहां वर्ष 2020-2021 में लाभ्यार्थियों की संख्या 8.16 लाख थी वहीं वर्ष 2024-2025 में इनकी संख्या बढ़कर 16.49 लाख रुपये हो गई. 

2019 में DBT प्रणाली शुरू

2019 में गुजरात सरकार ने कुशल एवं पारदर्शी वितरण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली( DBT) लागू की. पहले विधवा के बेटे के 18 वर्ष पूर्ण हो जाने पर यह सहायता बंद कर दी जाती थी. हालांकि, अब इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है. इससे गंगा स्वरुपा लाभार्थियों को गुजरात सरकार की ओर से आजीवन वित्तीय सहायता प्रदान कि जाएगी. इसके साथ वित्तीय सुरक्षा के प्रति गुजरात सरकार की प्रतिबद्धता रहेगी.

वार्षिक आय सीमा में किया बदलाव

दरअसल, ग्रामिण महिलाओं की वार्षिक आय सीमा 47,000 रुपये से बढ़ाकर 1,60,000 रुपये कर दी गई है. वहीं शहरी महिलाओं के लिए यह 67,000 रुपये से बढ़कर 1,50,000 रुपये कर दी गई है. इससे लाभार्थियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. ये संख्या 2018- 2019 में 1.64 लाख से बढ़कर फरवरी 2025 तक 16.49 लाख हो गई. 

लाभार्थियों का कहना है कि हर महीने उनके खाते में 1,250 रुपये आते हैं, इससे उनको घरेलू खर्चों को चलाने में मदद मिलती है और उनके बच्चों की शिक्षा में भी मददगार साबित होती है. लाभार्थियों ने बताया कि सरकार की ओर से दी जा रही इस वित्तीय सहायता से उनका जीवन काफी आसान हो गया है.

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