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Gujarat Assembly Election 2022: पांच साल बाद बदले समीकरण, BJP के लिए कितना मुफीद?

राज्य में भाजपा की सरकार 1995 से कायम है. मगर पिछले यानि 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सबसे बीते सभी मुकाबलों से खराब प्रदर्शन किया था. 182 सीटों में से 99 सीटों पर जीत हासिल की थी.

Updated on: 04 Nov 2022, 10:18 AM

highlights

  • 2017 में BJP ने182 सीटों में से 99 सीटों पर जीत हासिल की थी
  • भाजपा ने 2002 में 127 सीटों पर विजय हासिल की थी
  • AAP ने 108 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है

नई दिल्ली:

गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022 ) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. चुनाव आयोग ने दो फेज में 1 और 5 दिसंबर को मतदान की घोषणा कर दी है. वहीं आठ दिसंबर को मतगणना होगी. इस बार यह मुकाबला​ त्रिकोणीय होने जा रहा है. प्रदेश में भाजपा (BJP) के खिलाफ कांग्रेस (Congress) के साथ आम आदमी पार्टी (AAP) भी अपने पूरे रौ में प्रचार कर रही है. राज्य में भाजपा की सरकार 1995 से कायम है. मगर पिछले यानि 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने  बीते सभी चुनाव के मुकाबलों में खराब प्रदर्शन किया था. 182 सीटों में से 99 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 77 सीटों पर कब्जा जमाया था. बहुमत के लिए 92 सीटों की आवश्यकता थी. मगर भाजपा के इस प्रदर्शन को सबसे कमजोर माना गया. 

2017 के परिपेक्ष में हुए चुनाव को देखा जाए तो आज की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. 2017 में पाटीदार अंदोलन अपने चरम पर था. वे शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे थे. इसके साथ जीएसटी (GST) को लेकर सरकार के खिलाफ माहौल बन रहा था. इसका फायदा कांग्रेस को मिला. कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा था. अब होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पाटीदार आंदोलन आज अपनी धार खो चुका है. व्यवसाई जीएसटी के आदी हो गए हैं. वहीं  भाजपा ने 2021 में लगभग पूरे मंत्रिमंडल को बदलकर भूपेंद्र पटेल को विजय रुपानी की जगह सीएम बनाया. 

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राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले चुनाव के ज्‍यादातर ज्वलंत मुद्दे इस बार कुंद होते नजर आ रहे हैं. हालांकि महंगाई और बेरोजगारी दो प्रमुख मुद्दे हैं, जिनके इर्द-गिर्द चुनाव लड़े जाने की संभावना है. इस बार आम आदमी पार्टी इस चुनाव में पूरे दमखम के साथ खड़ी है. ऐसे में इस बार यह मुकाबला ​त्रिकोणीय हो सकता है. 

देखा जाए तो अब तक गुजरात में कांग्रेस का अभियान कमजोर रहा है. पार्टी ने बीते पांच वर्षों में 16 विधायकों को खो दिया है. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि वह मजबूती से यह चुनाव लड़ने वाली है. कार्यकर्ता घर-घर जाकर अपना कैंपेन चला रहे हैंं. वहीं केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) गुजरात में पैर जमाने का प्रयास कर रही है. वह आक्रामक ​अभियान चला रही है. अरविंद केजरीवाल ने इस साल अगस्त माह के बाद से हर माह दो बार राज्य का दौरा किया है. आप का वादा है कि बेरोजगार युवाओं को भत्ता, मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा और मासिक वजीफा देने का वादा किया है. इसके साथ भ्रष्टाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बेरोजगारी को राज्य की बड़ी समस्या बताया है. पार्टी ने अब तक 108 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. वहीं अभी तक भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए हैं.

भाजपा ने 2002 में 127 सीटों पर विजय हासिल की थी. वह इस प्रदर्शन को दोहराने की बात कर रही है. उस समय पीएम नरेंद्र मोदी राज्य के सीएम थे. भाजपा का मानना है कि वर्तमान हालात उसके अनुकूल हैं, क्योंकि आप को वह राज्य में मजबूत ताकत नहीं मानती है. वहीं कांग्रेस कमजोर हो चुकी है. इसके साथ पीएम मोदी का चेहरा राज्य की जनता के बीच अभी भी लोकप्रिय है. 

2017 में, कांग्रेस को युवा नेताओं, हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी का साथ मिला था. उस दौरान युवा मतदाताओं का समर्थन कांग्रेस को मिला था. मगर अब परिस्थितियां बदल गई हैं. हार्दिक पटेल पार्टी छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं. वहीं ​अल्पेश ठाकोर भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं.