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Yamuna Cleaning Program Photograph: (Social)
New Delhi: राजधानी दिल्ली में रविवार को ‘स्वच्छता ही सेवा’ पहल के तहत कालिंदी कुंज स्थित यमुना तट पर ‘एक दिन, एक घंटा, एक साथ’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल और राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने शिरकत की. कार्यक्रम का उद्देश्य यमुना की सफाई और नदी पुनर्जीवन के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना और सामूहिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना था.
नेताओं का संदेश
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, सी.आर. पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नदी संरक्षण अब केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज का सामूहिक कर्तव्य बन गया है. उन्होंने यमुना के पुनरुद्धार को सांस्कृतिक आस्था और पर्यावरणीय चेतना का संगम बताया. उन्होंने महात्मा गांधी के स्वच्छता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए नदियों का पुनर्जीवन जरूरी है.
व्यापक भागीदारी
अभियान में 139 जिला गंगा समितियों और कई नगर पालिकाओं ने भाग लिया. हजारों लोग स्वयंसेवक बनकर गंगा और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिए आगे आए. बच्चों और युवाओं की बड़ी संख्या ने नृत्य, गायन और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से नदी स्वच्छता का संदेश दिया.
प्रत्येक जिले ने कम से कम 10,000 प्रतिभागियों को जोड़ने का संकल्प लिया. इस कारण यह कार्यक्रम केवल प्रतीकात्मक न होकर, ठोस परिणामों वाला साबित हुआ.
तकनीकी और सामाजिक पहल
दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए पहले से चल रही परियोजनाओं में से 10 में से 9 पूरी हो चुकी हैं. ओखला, कोंडली, रिठाला और कोरोनेशन पिलर स्थित अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अब पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं. साथ ही नदी किनारों की नियमित सफाई, जल पुनर्चक्रण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए कदम भी उठाए जा रहे हैं.
संस्थाओं का योगदान
इस कार्यक्रम में एमसीडी, जल संसाधन और नदी विकास विभाग के अलावा कई संस्थानों जैसे वाईएसएस फाउंडेशन, सक्षमभूमि फाउंडेशन, अमिटी यूनिवर्सिटी, जाकिर हुसैन कॉलेज, पीजीडीएवी कॉलेज, आईएमएस कॉलेज और दिल्ली के कई स्कूलों ने सक्रिय भागीदारी निभाई.
केंद्रीय मंत्री पाटिल ने कहा कि जब संकल्प सामूहिक होता है, तो बदलाव ऐतिहासिक बन जाता है. 'स्वच्छता केवल स्वास्थ्य या पर्यावरण का विषय नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है.'
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