लाल किले से पीएम मोदी ने की आरएसएस की तारीफ, अखिलेश और Imran Masood ने किया तीखा वार, संघ पर उगला जहर

PM Modi on RSS: स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 साल पूरे होने पर उसकी जमकर तारीफ की.

PM Modi on RSS: स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 साल पूरे होने पर उसकी जमकर तारीफ की.

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Yashodhan.Sharma
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PM Modi on RSS: स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में इस बार एक खास जिक्र हुआ, जिसने सियासी हलचल बढ़ा दी. पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 साल पूरे होने पर उसकी जमकर तारीफ की और इसे दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन बताते हुए राष्ट्र निर्माण में इसके योगदान को सराहा.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पहले जन्मा यह संगठन ‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ के संकल्प के साथ काम कर रहा है और मां भारती की सेवा में समर्पित रहा है. उन्होंने स्वयंसेवकों के अनुशासन और सेवा भावना को संघ की पहचान बताते हुए कहा कि इसका समर्पण देश के लिए प्रेरणादायक है.

बता दें कि यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री ने लाल किले से खुले तौर पर आरएसएस का नाम लिया. संघ की स्थापना 25 सितंबर 1925 को हुई थी और इस वर्ष इसका शताब्दी वर्ष है.

पीएम मोदी के बयान पर विपक्ष की प्रतिक्रिया

पीएम मोदी के इस बयान पर विपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मोदी जी मुंह से स्वदेशी की बात करते हैं लेकिन मन से विदेशी हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और संघ परिवार का रास्ता न तो धर्मनिरपेक्ष है और न ही समाजवादी, जैसा कि पहले वादा किया गया था. अखिलेश के अनुसार, प्रधानमंत्री पूरे देश के नहीं बल्कि सिर्फ भाजपा के प्रधानमंत्री हैं.

कांग्रेस सांसद ने RSS पर लगाए गंभीर आरोप

वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने और कड़ा रुख अपनाते हुए आरएसएस पर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि संघ ने 52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया और स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं दिया. मसूद के अनुसार, आरएसएस ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और ब्रिटिश सेना में भर्ती के लिए लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने दावा किया कि आजाद हिंद फौज के संघर्ष के दौरान संघ की विचारधारा वाले लोग ब्रिटिश शासन के साथ थे और संविधान को भी विदेशी बताया था.

पीएम मोदी के इस संबोधन ने एक ओर जहां संघ समर्थकों को गर्व का अवसर दिया, वहीं विपक्ष ने इसे राजनीतिक मकसद से जोड़ते हुए तीखे सवाल खड़े कर दिए. 

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