पौधों का प्लेग : 60 साल बाद टिड्डियों की दिल्ली पर चढ़ाई का खतरा

पाकिस्तान के रास्ते देश की सीमा में प्रवेश करने वाली टिड्डियों की फौज किसी भी समय देश की राजधानी दिल्ली पर चढ़ाई कर सकती है. उसे बस हवा के रुख का इंतजार है. हवा का रुख बदल जाने के कारण बुधवार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में टिड्डी दल का खतरा टल गया.

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Sunil Mishra
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पौधों का प्लेग : 60 साल बाद टिड्डियों की दिल्ली पर चढ़ाई का खतरा( Photo Credit : IANS)

पाकिस्तान (Pakistan) के रास्ते देश की सीमा में प्रवेश करने वाली टिड्डियों की फौज किसी भी समय देश की राजधानी दिल्ली पर चढ़ाई कर सकती है. उसे बस हवा के रुख का इंतजार है. हवा का रुख बदल जाने के कारण बुधवार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में टिड्डी दल का खतरा टल गया. लेकिन जानकार बताते हैं कि पेड़-पौधों का यह दुश्मन कभी भी धावा बोल सकता है. कृषि वैज्ञानिक इसे पौधों का प्लेग बताते हैं, जिसका आंतक पिछले साल से ही बना हुआ है. हालांकि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि टिड्डी के प्रकोप पर नियंत्रण के लिए पुरजोर कोशिशें जारी हैं. उन्होंने कहा कि टिड्डियों को मारने के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करने समेत तमाम उपाय किए गए हैं और लगातार इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है.

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कृषि मंत्रालय के अनुसार, टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए व्यापक तैयारी की गई है और जिला प्रशासन की मदद से कृषि विभाग की पूरी मशीनरी इस काम में जुटी हुई है. मंत्रालय ने बताया कि 26 मई तक राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्यप्रदेश में 303 जगहों पर 47308 हेक्टेयर इलाके में इस पर नियंत्राण कर लिया गया है. मंत्रालय ने बताया कि राजस्थान के 21 जिले, मध्यप्रदेश के 18 जिले, पंजाब का एक जिला और गुजरात के दो जिले इसकी चपेट में हैं.

बहरहाल, सीमावर्ती प्रांत राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और पंजाब में टिड्डी का प्रकोप बना हुआ है. वैज्ञानिक बताते हैं कि टिड्डी दल दिनभर में तकरीबन 150 किलोमीटर का सफर तय करता है और यह हवा के रुख के अनुसार चलता है. बुधवार को पंजाब का रुख कर लेने के कारण दिल्ली पर इसका खतरा टल गया. दिल्ली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी पेड़-पौधों पर टिड्डी दल अपना कहर बरपा सकता है, यह अंदेशा टिड्डी नियंत्रण के लिए काम करने वाले अधिकारियों ने जताया है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे पहले 1960 में टिड्डी दल दिल्ली स्थित पूसा परिसर तक पहुंचा था. राजस्थान के जोधपुर स्थित टिड्डी नियंत्रण केंद्र के क्षेत्र अधिकारी पवन कुमार ने कहा कि इस साल मार्च में टिड्डियों के हमले कम थे, लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे हमले बढ़ गए हैं और टिड्डियों का झुंड राजस्थान के अलावा अन्य प्रांतों में प्रवेश कर गया है.

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मंत्रालय ने बताया कि इस समय राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर और जयपुर जिले में और मध्यप्रदेश के सतना, ग्वालियर, सीधी, राजगढ़, बैतूल, देवास, आगर मालवा जिले में अल्पवयस्क टिड्डियां सक्रिय हैं. मंत्रालय ने बताया कि इस समय ये काफी सक्रिय हैं और विभिन्न जगहों पर इस पर नियंत्रण करने में चार-पांच दिन लगते हैं.

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार ने टिड्डी नियंत्रण को लेकर कीटनाशक दवाओं सहित अन्य आवश्यक संसाधनों की खरीद के लिए टिड्डी नियंत्रण के लिए राजस्थान सरकार को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना फंड से 14 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित कर दी है. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के रास्ते देश की सीमा में प्रवेश करने वाले पौधों के इस दुश्मन का सबसे बड़ा शिकार राजस्थान ही है.

Source : IANS

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