दिल्ली में चल सकती हैं OLA-Uber की बसें, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने की बैठक, PUC पर भी सख्त नियम

OLA and Uber Bus In Delhi: जल्द ही राजधानी की सड़कों पर OLD-Uber की बसें चलती हुई दिखाई दें.  सरकार का मानना है कि इससे सड़कों पर निजी गाड़ियों की संख्या कम होगी और ट्रैफिक दबाव घटेगा.

OLA and Uber Bus In Delhi: जल्द ही राजधानी की सड़कों पर OLD-Uber की बसें चलती हुई दिखाई दें.  सरकार का मानना है कि इससे सड़कों पर निजी गाड़ियों की संख्या कम होगी और ट्रैफिक दबाव घटेगा.

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Dheeraj Sharma
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Delhi OLA Uber Bus

OLA and Uber Bus In Delhi: दिल्ली में लगातार बढ़ता प्रदूषण और ट्रैफिक जाम सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक अहम पहल की है. उन्होंने ओला और उबर जैसी निजी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के साथ बैठक कर दिल्ली-एनसीआर में निजी बस सेवाएं शुरू करने की संभावना पर चर्चा की है.  ऐसे में हो सकता है जल्द ही राजधानी की सड़कों पर OLD-Uber की बसें चलती हुई दिखाई दें.  सरकार का मानना है कि इससे सड़कों पर निजी गाड़ियों की संख्या कम होगी और ट्रैफिक दबाव घटेगा. 

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रोजाना सफर से बढ़ता ट्रैफिक

नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे एनसीआर क्षेत्रों से हर दिन लाखों लोग निजी कारों और टैक्सियों से दिल्ली आते-जाते हैं. ऑफिस आवर के दौरान यह आवाजाही सड़कों को जाम कर देती है. इसके साथ ही वाहनों से निकलने वाला धुआं राजधानी की हवा को और जहरीला बना देता है. ऐसे में सरकार चाहती है कि लोग साझा परिवहन की ओर बढ़ें और निजी वाहन कम से कम इस्तेमाल करें.

ओला-उबर की निजी बस सेवा क्यों अहम

सरकार की योजना है कि ओला और उबर अपनी तकनीकी क्षमता और नेटवर्क का इस्तेमाल कर निजी बस सेवाएं शुरू करें. इन बसों के जरिए एक साथ ज्यादा लोग यात्रा कर सकेंगे, जिससे सड़कों पर कारों और टैक्सियों की संख्या घटेगी. इससे न सिर्फ ट्रैफिक जाम कम होगा, बल्कि ईंधन की खपत और प्रदूषण में भी कमी आएगी.

PUC नियमों पर सख्ती

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) नियमों को सख्ती से लागू करने पर भी जोर दिया है. बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि PUC सर्टिफिकेट न होने पर सीधे 10,000 रुपये का चालान काटा जाए. अभी तक कई लोग लोक अदालत में मामूली रकम देकर चालान माफ करा लेते हैं, जिससे नियमों का असर कम हो जाता है.

जुर्माने का मकसद क्या है?

सरकार का उद्देश्य लोगों को दंडित करना नहीं, बल्कि नियमों का पालन करवाना है. भारी जुर्माने का प्रावधान इसलिए किया जा रहा है ताकि वाहन मालिक समय पर PUC सर्टिफिकेट बनवाएं और अपने वाहनों की प्रदूषण जांच कराएं. इससे सड़कों पर चलने वाले अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या घट सकती है.

निजी भागीदारी से ही होगा बदलाव

दिल्ली सरकार का मानना है कि केवल सरकारी बसें और योजनाएं प्रदूषण की समस्या को पूरी तरह हल नहीं कर सकतीं. इसके लिए निजी कंपनियों की भागीदारी और आम लोगों की जिम्मेदारी दोनों जरूरी हैं. ओला-उबर की बस सेवाएं और PUC नियमों पर सख्ती मिलकर राजधानी की हवा को साफ करने और ट्रैफिक को सुचारु बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं.

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delhi CM Rekha Gupta
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