आतंकियों का वकील है महमूद प्राचा, CAA पर बनाया जहरीला माहौल
सीएए विरोध प्रदर्शनों में प्राचा के उत्तेजक भाषणों ने ही एजेंसियों को कथित भारत विरोधी गतिविधियों की जांच करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
नई दिल्ली:
वकील महमूद प्राचा ने कई आतंकी हमलों में शामिल आरोपियों का बचाव किया है. प्राचा ने 2010 पुणे जर्मन बेकरी बम धमाके में मिर्जा हिमायत, 2012 इजरायल दूतावास हमले में सैयद मुहम्मद अहमद काजमी, 2008 में दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में मोहम्मद मंसूर असगर जैसे आरोपियों का बचाव किया है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक प्राचा ने खालिस्तानी आतंकवादी जगतार सिंह का 2018 के मध्य से 2019 के मध्य तक बेअंत सिंह हत्याकांड मामले सहित कई आतंकी आरोपियों का बचाव किया है.
घर की तलाशी के बाद गर्माई राजनीति
प्राचा के आवास पर हाल ही में दिल्ली पुलिस की तलाशी के बाद राजनीति गर्मा गई है. प्राचा के पक्ष में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लोगों का समर्थन भी देखने को मिला रहा है. जब एक प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया गया, तो प्राचा ने बताया, जब मैंने बॉम्बे हाईकोर्ट में हिमायत बेग के मामले की दलील दी तो उन्हें उम्रकैद की सजा के 6 और मौत की सजा के 5 मामलों की सजा सुनाई गई थी. माननीय हाईकोर्ट ने उन्हें 10 आरोपों से बरी कर दिया. मेरी दलीलों के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मृत्यु के सभी मामलों से उन्हें बरी कर दिया गया और उन्हें 5 मामलों में आजीवन कारावास की सजा दी गई. माननीय अदालत ने यह भी निर्णय दिया कि हिमायत बेग द्वारा कोई साजिश नहीं की गई है.
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सीएए के खिलाफ दिए उत्तेजक भाषण
इंटेलिजेंस इनपुट्स का कहना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोध प्रदर्शनों में प्राचा के उत्तेजक भाषणों ने ही एजेंसियों को कथित भारत विरोधी गतिविधियों की जांच करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने विभिन्न आरोपी आतंकवादियों का बचाव करने की जिम्मेदारी प्राचा को सौंपी थी. प्राचा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दिल्ली शाखा के सामान्य सदस्य हैं. दक्षिण एशिया अल्पसंख्यक वकील संघ में प्राचा संगठन के अध्यक्ष हैं. जुलाई 2017 से प्राचा दलित, अल्पसंख्यक और जनजातीय मामलों को लेकर मुखर रहते हैं. वह कानूनी जागरूकता को बढ़ावा देने वाले संगठन के प्रमुख भी हैं.
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कई आतंकियों का किया बचाव
खुफिया सूत्रों के अनुसार प्राचा कई आतंकी आरोपियों का बचाव कर रहे हैं. इनमें 2010 में पुणे जर्मन बेकरी बम ब्लास्ट में मिर्जा हिमायत और 2012 में इजरायल दूतावास पर हुए हमले में शामिल सैयद मुहम्मद अहमद काजमी शामिल हैं. इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि उन्होंने कट्टरपंथी पत्रकार का भी सफलतापूर्वक बचाव किया और अब उनके द्वारा चलाए जा रहे मीडिया चैनल से समर्थन प्राप्त है. प्राचा ने 2008 में दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में मोहम्मद मंसूर असगर जैसे आरोपियों का बचाव किया है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक प्राचा ने खालिस्तानी आतंकवादी जगतार सिंह का 2018 के मध्य से 2019 के मध्य तक बेअंत सिंह हत्याकांड मामले सहित कई आतंकी आरोपियों का बचाव किया है.
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आईबी की संवैधानिकता पर भी उठाए सवाल
यह भी पता चला कि मामलों पर ध्यान केंद्रित नहीं करने के लिए महमूद प्राचा को जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था. खुफिया जानकारी के अनुसार प्राचा ने आईबी के खिलाफ भी एक मामला दायर किया है और 2014 में इसकी संवैधानिकता पर भी सवाल उठाया है. वहीं 2019 में महमूद प्राचा ने अल्पसंख्यकों और दलितों की मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक कट्टरपंथी अभियान भी चलाया.
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