दिल्ली के उपराज्यपाल ने डीयूएसआईबी के ढीले रवैया पर जताई नाराजगी, CEO को जांच का दिया निर्देश

यह मामला हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की ओर से DUSIB के खिलाफ दायर एक अपील याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया.

यह मामला हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की ओर से DUSIB के खिलाफ दायर एक अपील याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया.

author-image
Mohit Saxena
New Update
LG of delhi

LG of delhi

(रिपोर्ट- हरीश झा)

Advertisment

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के ढीले-ढाले रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है, क्योंकि डीयूएसआईबी ने अपनी भूमि और संपत्तियों पर नियमानुसार किराए की मूल्यवृद्धि नहीं की. इसके कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ. डीयूएसआईबी सीधे तौर पर दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग  के अधीन आता है. यह मामला हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की ओर से डीयूएसआईबी के खिलाफ दायर एक अपील याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें यह पाया गया कि अनिवार्य प्रावधान होने के बावजूद डीयूएसआईबी ने एचपीसीएल से लिए जाने वाले किराए का पुनरीक्षण नहीं किया.

ये भी पढ़ें:  'अपनी ही सरकार में केस दर्ज करा रही है पुलिस', Rajasthan के कैबिनेट मंत्री kirodi lal meena की गुहार

10 साल की लीज पर दो भूखंड आवंटित किए

1984 में, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शहजादा बाग औद्योगिक क्षेत्र और सराय बस्ती रोहतक रोड में एचपीसीएल को फिलिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 10 साल की लीज पर दो भूखंड आवंटित किए थे. इस समझौते में यह प्रावधान था कि हर पांच साल  में किराए का पुनरीक्षण किया जाएगा. 2010 में डीयूएसआईबी के गठन के बाद, इन संपत्तियों को डीयूएसआईबी को हस्तांतरित कर दिया गया और किराया वसूलने की जिम्मेदारी बोर्ड को सौंप दी गई. 

हालांकि, 1984 के समझौते के तहत हर पांच साल में किराए का पुनरीक्षण किया जाना था,लेकिन लगभग 30 वर्षों तक इसे नजरअंदाज किया गया. इसके बाद, 2018 में, डीयूएसआईबी ने अचानक एचपीसीएल से 35 करोड़ रुपये की एक मनमानी मांग की, जिसमें ब्याज भी शामिल था.

डीयूएसआईबी के सीईओ को निर्देश दिया

मामले की सुनवाई करते हुए उपराज्यपाल सक्सेना ने यह पाया कि यह मामला भूमि और संपत्ति प्रबंधन के लिए जिम्मेदार डीयूएसआईबी अधिकारियों की लापरवाही को उजागर  करता है. उन्होंने यह जोर दिया कि इन अधिकारियों को डीयूएसआईबी के हितों की सुरक्षा के लिए समय पर ग्राउंड रेंट का पुनरीक्षण सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए थे. इस मुद्दे को सुलझाने और जिम्मेदारी तय करने के लिए, उपराज्यपाल सक्सेना ने डीयूएसआईबी के सीईओ को निर्देश दिया है कि वे तथ्यान्वेषण जांच करें और ग्राउंड रेंट के पुनरीक्षण में हुई चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करें. 

समग्र नीति तैयार करने का निर्देश भी दिया

उपराज्यपाल ने डीयूएसआईबी को इस मामले में ग्राउंड रेंट की नई गणना करने और अपनी सभी भूमि और संपत्तियों के लिए ग्राउंड रेंट तथा अन्य शुल्क तय करने के लिए 30 दिनों के भीतर एक समग्र नीति तैयार करने का निर्देश भी दिया है. इसके साथ ही उपराज्यपाल ने यह निर्णय लिया कि एचपीसीएल को संशोधित मूल राशि और ब्याज का भुगतान केवल 2018 में डीयूएसआईबी की मांग आदेश जारी किए जाने के आधार पर करना होगा, न कि 1984 से. उपराज्यपाल का यह सख्त कदम पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है.

Lieutenant governor newsnation LG CEO Newsnationlatestnews delhi lieutenant governor vk saxena Delhi Lieutenant Governor V K Saxena
      
Advertisment