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रद्द हो सकता है प्रशांत भूषण का वकालत करने का लाइसेंस, जानें क्या है कारण?

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बार काउंसिल पर छोड़ दिया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए दिल्ली बार काउंसिल से कहा है कि वे प्रशांत भूषण के ट्वीट की जांच करें और अगर उसे लगता है कि प्रशांत भूषण पर कार्रवाई करनी चाहिए तो वह कानून के मुताबिक फैसला लें.

Updated on: 05 Sep 2020, 10:50 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना (contempt of court) के एक मामले में दोषी पाए गए वकील प्रशांत भूषण (Advocate Prashant Bhushan) की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं. अब ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सजा सुनाए जाने के बाद प्रशांत भूषण की वकालत के लाइसेंस पर भी गाज गिर सकती है. जानकारी के मुताबिक फैसले के पैराग्राफ 89 में यह कहा गया है कि एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) अगर चाहें तो वो वकील के नामांकन को निलंबित कर सकती है.

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बार काउंसिल पर छोड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बार काउंसिल पर छोड़ दिया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए दिल्ली बार काउंसिल से कहा है कि वे प्रशांत भूषण के ट्वीट की जांच करें और अगर उसे लगता है कि प्रशांत भूषण पर कार्रवाई करनी चाहिए तो वह कानून के मुताबिक फैसला लें. वर्तमान में प्रशांत भूषण का नामांकन दिल्ली बार काउंसिल के वकील के तौर है. वहीं अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24ए में पहले से इस तरह का प्रावधान किया गया है कि अगर कोई आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है तो राज्य की बार काउंसिल के रोल पर एक अधिवक्ता के रूप में उसे भर्ती नहीं किया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था एक रुपये का जुर्माना
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में प्रशांत भूषण पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था.  प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए कहा कि जुर्माने की एक रुपये की राशि 15 सितंबर तक जमा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की कैद भुगतनी होगी और तीन साल के लिए वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा. प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ दो ट्वीट किए थे. इसी पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान देते हुए भूषण को दोषी माना और उन्हें सजा सुनाई