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High Court ने पूछा, मांस बेचने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को किस कानून के तहत लाइसेंस की जरूरत

Updated on: 21 Jul 2019, 06:00 PM

नई दिल्‍ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम से यह बताने को कहा है कि मांस या मांस उत्पाद बेचने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को किस कानून के तहत लाइसेंस लेने की जरूरत है.न्यायमूर्ति विभु बाख्रू ने कहा, ‘‘कौन सा कानून है जो किसी रेहड़ी-पटरी विक्रेता को लाइसेंस के बिना मांस बेचने से मना करता है? कौन सा कानून आपको (निगम) इसे प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है?’’

निगम की ओर से पेश वकील मोनिका अरोड़ा ने इसके बाद अदालत से कानून पेश करने के लिए समय मांगा.  अदालत ने निगम को सबंधित कानून के बारे में बताने के लिए 22 जुलाई तक का समय दे दिया.  उच्च न्यायालय रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के एक संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

यूपी में ये है नियम

1- दुकान पक्की होनी चाहिए. 2- आबादी से बाहर होनी चाहिए. 3- धार्मिक स्थल से 100 मीटर की दूरी होनी चाहिए. 4- दुकान के बाहर काला शीशा होना चाहिए. 5- बंद कमरे में ही मुर्गे आदि काटने की व्यवस्था हो. 6- दुकान के बाहर चिकन नहीं लटकाएंगे. 7- अपशिष्ट के निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी. बता दें कि नियमानुसार कोई भी दुकानदार दुकान पर पशु-पक्षियों को नहीं काट सकता है. ये काम स्लॉटर हाउस में ही किया जाना चाहिए, लेकिन जिले में कहीं भी स्लॉटर हाउस नहीं है. लिहाजा चिकन की बिक्री के लिए स्लॉटर हाउस से छूट दे दी गई है. लेकिन इसके लिए शासन द्वारा पंजीकरण की बाध्यता है. साथ ही साफ-सफाई व अन्य नियमों का पूरा पालन करने की अनिवार्यता है.