दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर कसी नकेल, एक अक्टूबर से हाईराइज सोसाइटी, अस्पतालों में बिजली होगी गुल!
एक घंटे बिजली न होने पर उद्यमियों को करीब 500 करोड़ के राजस्व का नुकसान होना तय है. इसके साथ हाईराइज सोसाइटी वालों को बिना बिजली के रहना पड़ सकता है.
highlights
- बायो या पीएनजी फ्यूल से चलने वाले जनरेटरों को इजाजत होगी
- उद्यमियों को करीब 500 करोड़ के राजस्व का नुकसान होना तय
- इसका सीधा असर छोटे उद्योगों (एमएसएमई) पर भी होगा
नई दिल्ली:
दिल्ली-NCR में एक अक्टूबर से डीजल जनरेटर पर रोक लगा दी गई है. इसका मतलब है कि नोएडा, गाजियाबाद समेत पूरे एनसीआर में अब डीजल जनरेटर नहीं चलाए जा सकेंगे. इसकी वजह है वायु प्रदूषण. हर साल की तरह इस बार भी बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू किया गया है. इस मामले में सिर्फ उन्हीं जनरेटरों को चलाने की इजाजत होगी जो बायो या पीएनजी फ्यूल से चलेंगे. इसको लेकर नोएडा के उद्योग जगत में हलचल पैदा हो गई है. हजारों उद्यमियों के बीच निराशा छाई है. इसका कारण है कि उन्होंने अब भी अपना जेनसेट पीएनजी फ्यूल में बदला नहीं है.
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इस असर यह होगा कि एक घंटे बिजली न होने पर उद्यमियों को करीब 500 करोड़ के राजस्व का नुकसान होना तय है. इसके साथ हाईराइज सोसाइटी वालों को बिना बिजली के रहना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि 70 से अधिक सोसाइटी में पॉवर बैकअप डीजल जनरेटर की मदद से मिल रहा है.
सीधा असर छोटे उद्योगों पर भी होगा
नोएडा-ग्रेटर नोएडा को मिलाकर देखा जाए तो यहां पर करीब 12 से 15 हजार उद्योग मौजूद हैं. इसके साथ सोसाइटी और निजी संस्थान हैं. शहर में 40 हजार के करीब जनरेटर मौजूद हैं. इनमें से अब तक करीब चार हजार ही पीएनजी फ्यूल में कनर्वट हो सकेंगे. इसमें इंडस्ट्री के 1,500 जनरेटर मौजूद है. अगर डीजल जनरेटर बंद होते हैं तो उद्योग पर असर होगा. इसका सीधा असर छोटे उद्योगों (एमएसएमई) पर भी होगा. ऐसे उद्योगों में 50-100 श्रमिक ही काम करते हैं. अगर इकाइयां बंद होती हैं तो इसका श्रमिकों के वेतन पर भी होगा.
हाईराइज सोसाइटी पर भी असर देखने को मिल सकता है
गौरतलब है कि डीजल जनरेटर का संचालन बंद होने से हाईराइज सोसाइटी पर भी असर देखने को मिल सकता है. इसके अलावा मॉल और अस्पतालों में समस्या का समाना करना पड़ सकता है. आपको बता दें कि बड़ी इमारतों या सोसाइटियों में डीजल जनरेटर को पॉवर बैकअप की तरह उपयोग में लाया जाता है. अभी करीब 90 प्रतिशत इमारतों में डीजी सेट कन्वर्ट नहीं कराए गए हैं.
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