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Delhi Riots: CAA-NRC नहीं, ये थी दिल्ली दंगों की सबसे बड़ी वजह( Photo Credit : फाइल फोटो)
दिल्ली हिंसा (Delhi Riots) केस में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police) ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी UAPA के तहत दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने संज्ञान लिया है. दिल्ली पुलिस की ओर से चार्जशीट और उससे जुड़े दस्तावेजों को मिलाकर 17 हज़ार से ज़्यादा पेज कोर्ट में दाखिल किए गए थे. दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में दिल्ली दंगे की प्रमुख वजह बताई है.
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दिल्ली दंगों के लिए दायर चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि देश में CAA-NRC के कानून के अस्तित्व में आने से साजिशकर्ताओं को अपने दिमाग में चल रहे ख्यालों को अमली जामा पहनाने का मौका मिल गया. पुलिस ने चार्जशीट में ये साफ किया है कि आखिर क्यों यूएपीए के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस केस में फायर आर्म्स, पेट्रोल बम, एसिड हमले और पुलिस के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल ,पुलिसवालों की मौत, 208 पुलिसकर्मियों को चोट पहुंचाना, सरकार को CAA/NRC को वापस लेने को धमकाना सीधे-सीधे आंतकवादी गतिविधियों की श्रेणी में आता है. दंगा प्रभावित इलाकों में आम आदमी के जीवन के लिए ज़रूरी सेवाएं और सप्लाई बाधित हुई. अस्पताल, मेडिकल शॉप तक आम आदमी नहीं पहुंच पाए. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बंद करना पड़ा. बोर्ड एग्जाम टालना पड़ा. ये सब आतकंवादी गतिविधियों के अंतर्गत ही आएगा.
पुलिस ने चार्जशीट में कहा है- इस मामले में आरोपियों ने आंतकवादी गतिविधियों के जरिये सामाजिक सद्भाव को डिस्टर्ब करने के लिए सोची-समझी और गहरी साजिश रची. इसी साजिश के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के अंदर भय और असुरक्षा का माहौल बनाया. सरकारी और निजी संपतियों को नुकसान पहुंचाया गया, जिसके चलते क़ानून व्यवस्था को पंगु बना दिया गया.
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साजिशकर्ताओं का एकमात्र मकसद सरकार को घुटनों पर लाना और उसे CAA क़ानून को वापस लेने के लिए मज़बूर करना था. इस साजिश को अंजाम देने के लिए वक़्त भी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के वक़्त का चुना गया, ताकि एक तीर से दो निशाने किए जा सके. साजिशकर्ताओं का आखिरी मकसद सांप्रदायिक हिंसा को सहारा लेकर एक कानून सम्मत तरीके से चुनी गई सरकार को गिराना था.
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में कहा है कि सीएए-एनआरसी कानून आने से पहले 2019 में संसदीय चुनाव के परिणाम आने के साथ ही (यानी मोदी सरकार का दोबारा से सत्ता में आने के साथ ही) इस केस के मुख्य साजिशकर्ताओं के बयान और उनकी टोन से, उनके दिमाग में चल रहे हिंसा के प्रति झुकाव का साफ पता चलता है. इस तरह के ख्याल ही इन्हें एक-दूसरे के नजदीक लेकर आए.