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Delhi Red Fort Blast: 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण कार धमाके ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है. इस हमले में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए. प्रारंभिक जांच में यह साफ हो चुका है कि इस हमले के पीछे कोई साधारण अपराधी नहीं, बल्कि एक संगठित आतंकी नेटवर्क सक्रिय था, जिसके तार जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़े हैं.
मेडिकल प्रोफेशनल्स का आतंकी नेटवर्क
जांच एजेंसियों के अनुसार, इस आतंकी मॉड्यूल में कई मेडिकल प्रोफेशनल्स की संलिप्तता पाई गई है. मुख्य संदिग्धों में डॉ. मोहम्मद उमर, डॉ. मुज़म्मिल, और डॉ. शाहीन शाहिद के नाम सामने आए हैं. यह मॉड्यूल सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए सक्रिय था. जांच से संकेत मिले हैं कि इन लोगों ने आतंकवाद को “धार्मिक कर्तव्य” के रूप में प्रचारित करते हुए कई युवाओं को प्रभावित किया.
जैश-ए-मोहम्मद का धमकी भरा पोस्टर
इस बीच, जांच एजेंसियों को एक संदिग्ध जैश-ए-मोहम्मद पोस्टर मिला है, जिसने जांच को और जटिल बना दिया है। इस पोस्टर में राफल्स की तस्वीरों के साथ उर्दू में लिखा संदेश है- “उम्मीद करता हूं आप सब लोग खैरियत से होंगे... जो कुछ हमने अब तक आप तक पहुंचाया है, आप उस पर अमल करोगे। हम देख रहे हैं कि आप अब भी गुनाहों में लिप्त हो, इसलिए शरीयत के खिलाफ काम बंद करो, वरना हमारा एक्शन तय होगा.”
पोस्टर में आगे चेतावनी दी गई है
“कुछ लोग इन भारतीय दरिंदों का साथ देते हैं... यह आखिरी बार है. अब आप माफी के हकदार नहीं रहेंगे. इंशा अल्लाह जब वक्त आएगा, तो वे अपनी जान देने के लिए तैयार रहेंगे.” इस पोस्टर में विशेष रूप से श्रीनगर के नौशेरा इलाके का उल्लेख है, जहां “भारतीय सुरक्षाबलों को समर्थन देने वालों” के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी गई है.
तुर्की कनेक्शन से बढ़ी जांच की दिशा
जांच अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े इस “डॉक्टर मॉड्यूल” का तुर्की कनेक्शन भी सामने आया है. शुरुआती जांच में पाया गया कि डॉ. उमर और डॉ. मुज़म्मिल ने तुर्की स्थित कुछ संदिग्ध संगठनों से ऑनलाइन ट्रेनिंग और फंडिंग सहायता प्राप्त की थी. फरीदाबाद में जब उनके सहयोगियों को विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया गया, तब घबराहट में डॉ. उमर ने कार को गलत तरीके से संभाला जिससे यह अनियोजित विस्फोट हुआ.
दिल्ली का यह धमाका केवल एक स्थानीय आतंकी वारदात नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय मॉड्यूल का संकेत है. मेडिकल क्षेत्र से जुड़े युवाओं का आतंक की राह पर चलना सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती है. अब जांच इस दिशा में केंद्रित है कि जैश का यह नेटवर्क भारत में कितनी गहराई तक फैला है और इसका असली मास्टरमाइंड कौन है.
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