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Delhi Red Fort Blast: देश की राजधानी दिल्ली में हुए सोमवार शाम के धमाके ने पूरे देश को हिला दिया है. यह न केवल 14 साल बाद राजधानी में हुआ सबसे बड़ा धमाका है, बल्कि ऐसा मामला भी है जिसमें धमाके को अंजाम देने वाला आतंकी मौके पर ही मारा गया. जांच एजेंसियों के मुताबिक, यह कोई आम आतंकी वारदात नहीं बल्कि 'वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' का हिस्सा थी ऐसे शिक्षित और पेशेवर लोग जो समाज में सम्मानित चेहरे के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन आतंकी संगठन से गहराई से जुड़े हुए हैं.
जैश-ए-मोहम्मद की साजिश के संकेत
धमाके की जांच के दौरान एजेंसियों को जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की ओर से कुछ अप्रत्यक्ष संकेत मिले हैं. मई 2025 में जैश की प्रोपेगेंडा मैगजीन ‘मदीना’ के कवर पर दिल्ली के सफदरजंग मकबरे की तस्वीर प्रकाशित हुई थी. इसके साथ ही 'गजवा-ए-हिंद' और 'जिहाद की तैयारी करो' जैसे उकसावे वाले लेख छपे थे. इससे यह आशंका गहराती जा रही है कि यह धमाका महज एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर में हुई जैश की बड़ी क्षति का बदला था.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदले की आग
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय एजेंसियों ने जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकानों को नष्ट किया था और मसूद अजहर के परिवार के कई सदस्य मारे गए थे. इस कार्रवाई के बाद से मसूद अजहर बदले की भावना से जल रहा था. सूत्रों के अनुसार, उसी समय से जैश ने “महिला विंग” तैयार करने की योजना बनाई थी, ताकि नए और अप्रत्याशित मोर्चे से भारत में घुसपैठ की जा सके.
डॉ. शाहीन शाहिद: आतंकी मॉड्यूल की महिला कड़ी
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा खुलासा लखनऊ की डॉक्टर शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी से हुआ. उसे भारत में महिलाओं को जैश से जोड़ने का जिम्मा सौंपा गया था. बताया जाता है कि मसूद अजहर ने अपनी बहन की मौत के बाद शाहीन को 'जमात-उल-मोमिनात' नामक महिला संगठन के माध्यम से भर्ती अभियान की कमान दी थी. 8 नवंबर से शुरू होने वाले इस अभियान से पहले ही भारतीय एजेंसियों ने शाहीन को धर दबोचा.
सुरागों से खुल रही बड़ी साजिश
यूपी एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में शाहीन के लखनऊ स्थित घर से कई डिजिटल उपकरण, दस्तावेज और एक कार बरामद की गई, जिस पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पास लगा था. जांच में सामने आया है कि उसका नेटवर्क हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था.
दिल्ली धमाके की जांच अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. शिक्षित चेहरों के पीछे छिपे इस नए आतंकी मॉड्यूल ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. जैश-ए-मोहम्मद की साजिश का यह वाइट कॉलर चेहरा साबित करता है कि अब आतंकवाद का स्वरूप पारंपरिक नहीं रहा यह अब दिमाग से लड़ा जाने वाला युद्ध बन चुका है.
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