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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (Social)
Delhi Artificial Rain: दिल्ली सरकार को क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) की सिविल एविएशन मंत्रालय की ओर से मंजूरी मिल गई है. अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली में पहली बार बड़े पैमाने पर कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. इस पहल को राजधानी में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अहम कदम माना जा रहा है.
IIT कानपुर की देखरेख में होगी प्रक्रिया
दिल्ली सरकार की इस पायलट परियोजना की निगरानी आईआईटी कानपुर करेगा. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जून में ही बताया था कि इस प्रस्ताव को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंजूरी दे दी है और अब सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.
मंत्री सिरसा ने एक्स पर किया पोस्ट
सिरसा ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि उन्होंने विमान को स्टैंडबाय पर रखने के निर्देश दे दिए हैं. जैसे ही मौसम और वैज्ञानिक मानक अनुकूल होंगे, भारत में पहली बार दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के ट्रायल कराए जाएंगे, ताकि लोगों को प्रदूषण से तुरंत राहत मिल सके.
मेरे प्यारे दिल्लीवासियो, मुझे ये बताते हुए बेहद खुशी हो रही है की DGCA ने आज फिर से IIT कानपुर को 1 अक्टूबर से 30 नवंबर 2025 के बीच दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की अनुमति दे दी है। यानी प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में, देश में पहली बार कृत्रिम वर्षा का रास्ता अब औपचारिक रूप से खुल गया… pic.twitter.com/wPtuGGSXaG
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) September 24, 2025
100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र होगा कवर
योजना के तहत उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली में पांच विमान-आधारित क्लाउड सीडिंग उड़ानें संचालित की जाएंगी. हर उड़ान लगभग 90 मिनट की होगी. करीब 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. IMD वास्तविक समय का मौसम डेटा मुहैया कराएगा, जिसमें बादलों की ऊंचाई, प्रकार, हवा की दिशा और ओस बिंदु शामिल होंगे.
बारिश के लिए 500 से 6,000 मीटर ऊंचाई पर मौजूद निंबोस्ट्रेटस बादलों को लक्षित किया जाएगा. इन बादलों में नमी का स्तर कम से कम 50% होना जरूरी है.
कितना खर्च आएगा?
अधिकारियों के अनुसार, इस पायलट परियोजना की लागत 3.21 करोड़ रुपये होगी. इसका पूरा खर्च दिल्ली सरकार का पर्यावरण विभाग उठाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बारिश दिल्ली के वायु प्रदूषण को अस्थायी तौर पर कम करने में मदद कर सकती है. अब देखना होगा कि यह प्रयोग कितना सफल होता है.
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