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delhi pollution
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि कई दशकों पुरानी है. ब्रिटिश शासन के दौरान कोयले के बढ़ते उपयोग और औद्योगीकरण की वजह से पॉल्यूशन बढ़ने लगा था. 1970 के दशक तक दिल्ली में पुरानी गाड़ियां, औद्योगिक धुआं और अव्यवस्थित कचरा प्रदूषण के बड़े कारण बन गए थे. 1990 के दशक में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर विकराल हो गया था. यहां पर गाड़ियों की संख्या में तेजी बढ़ोतरी हुई और ट्रैफिक की समस्या गंभीर हो गई. 2010 के बाद, दिल्ली में प्रदूषण एक नए स्तर पर पहुंच गया. हर वर्ष सर्दियों में घना स्मॉग छाने लगा. इसकी वजह पराली जलाने और जलवायु परिस्थितियों से जुड़ा है.
स्वतंत्रता के बाद बढ़ता शहरीकरण और प्रदूषण
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद दिल्ली में तेजी शहरीकरण और औद्योगीकरण होने लगा. यहां पर लाखों की संख्या में शरणार्थी बसने लगे. इससे शहर का आकार और जनसंख्या तेजी से बढ़ी. 1950 और 60 के दशक में कारखानों और परिवहन के विस्तार से वायु प्रदूषण गंभीर समस्या बन गया. इस समय, कोयला आधारित उद्योगों और ईंधन जलाने से वायु गुणवत्ता बिगड़ गई.
बढ़ती समस्या और नियंत्रण के प्रयास
1990 के दशक में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर पहुंच गया. गाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ. इससे ट्रैफिक और धुएं की समस्या गंभीर हो गई. इस दौरान पहली बार वायु गुणवत्ता निगरानी की शुरुआत हुई. 1995 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने कई तरह के उपाय किए. 2001 में सार्वजनिक परिवहन को CNG (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) में बदला गया. इससे प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई. इसके साथ औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के साथ बाहर स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया.
इस बीच निर्माण प्लास्टिक जलाने और अनियंत्रित कचरा निपटान के कारण प्रदूषण दोबारा से बढ़ गया. निजी वाहन बढ़ती संख्या और सड़क परिवहन में सुधार की कमी ने हालात को और खराब कर दिया.
2010 के बाद स्मॉग बनी नई चुनौती
2010 के बाद दिल्ली में प्रदूषण ने पहली बार अपनी चरम सीमा को पार किया. हर साल सर्दियों में घना स्मॉग छाने लगा. ये विशेष रूप से पराली जलाने और जलवायु परिस्थितियों से जुड़ा था. 2015 में दिल्ली सरकार ने "ऑड-ईवन" योजना लागू की शुरूआत की. इससे कुछ समय के लिए प्रदूषण कम हुआ. इसके साथ निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया गया. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) जैसी योजनाओं को तैयार किया गया. इन उपायों का असर सीमित स्तर पर रहा. कई शोधों में पाया गया कि वाहनों से निकलने वाला धुआ, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल और कचरे के जलाने से उत्पन्न विषाक्त गैसें दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह बना. के मुख्य कारण हैं. दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह
1. वाहनों से निकलने वाला धुआं (38-42%) कारण माना जाता है.
2. पराली जलाना (25-32%)
3. औद्योगिक उत्सर्जन (10-15%)
4. निर्माण कार्य की धूल (8-10%)
5. स्थानीय उत्सर्जन (5-7%)
दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है. इससे दिल्ली वीसियों निवासियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और दैनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
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