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लोकसभा में हंगामे के चलते आज पेश नहीं हुआ दिल्ली अध्यादेश बिल, कल लाने की तैयारी

संभावना जताई जा रही है कि मंगलवार को लोकसभा में इस बिल को रखा जाएगा. हालांकि, इस दौरान भी विपक्षी दलों के हंगामे के आसार हैं. आम आदमी पार्टी दिल्ली अध्यादेश का पुरजोर विरोध कर रही है.

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Prashant Jha
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लोकसभा( Photo Credit : फाइल फोटो)

दिल्ली अध्यादेश आज फिर से लोकसभा में पेश नहीं हो सका. भारी हंगामे के चलते लोकसभा को कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस बिल को आज संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में आज गृह मंत्री अमित शाह पेश करने वाले थे, लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे के कारण पेश नहीं किया गया. एनडीए ने सभी सांसदों को यह बिल एक दिन पहले ही भेज दिया था ताकि सोमवार को जब संसद का मानसन सत्र शुरू हो तो बिल टेबल पर रखा जाएगा, लेकिन शोर-शराबे की वजह से लोकसभा स्थगित हो गई. संभावना जताई जा रही है कि मंगलवार को लोकसभा में इस बिल को रखा जाएगा. हालांकि, इस दौरान भी विपक्षी दलों के हंगामे के आसार हैं. आम आदमी पार्टी दिल्ली अध्यादेश का पुरजोर विरोध कर रही है. आप का दावा है कि यह बिल अलोकतांत्रिक है. बिल चुनी हुई सरकार के खिलाफ है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि आज दिल्ली सेवा विधेयक लोकसभा में पेश नहीं किया गया. 

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दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारों की जंग को लेकर लंबे समय से केंद्र और केजरीवाल सरकार आमने सामने है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन मामलों को छोड़कर दिल्ली की देखरेख की जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी को सौंपी थी, लेकिन इसी साल मई में केंद्र सरकार ने दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर- पोस्टिंग से संबंधित संशोधन विधेयक लाकर रोक लगा दी.  दिल्ली में विधानसभा और सरकार के कामकाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम, 1991 लागू है. 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था. एनसीटी दिल्ली संशोधन बिल 2023 के जरिए राजधानी के प्रशासनिक और लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने का प्रावधान है. 

यह भी पढ़ें: मणिपुर वायरल वीडियो मामले की SC में हुई सुनवाई, CJI बोले- 'ये एकमात्र घटना नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने आप के पक्ष में दिया था फैसला  

केंद्र ने दिल्ली में सरकार और उनकी कामकाज को लेकर कुछ बदलाव किए गए थे. इसमें उपराज्यपाल को कुछ अतिरिक्त शक्ति दी गई थी. इसके तहत मुख्यमंत्री को किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी अनिवार्य था. संशोधन विधेयक में कहा गया था कि  किसी भी कानून में सरकार को उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी.इससे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति थी. इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की. 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सशर्त अधिकार दिए. सुप्रीम कोर्ट ने कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़कर सभी चीजों पर नियंत्रण का अधिकार आम आदमी पार्टी को दिया, लेकिन एक सप्ताह बाद यानी 19 मई को केंद्र ने अध्यादेश लाकर इसपर रोक लगा दी.

विपक्षी दलों का केजरीवाल को समर्थन

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ में अरविंद केजरीवाल ने सभी विपक्षी दलों से समर्थन मांगा. कांग्रेस समेत सभी गैर बीजेपी दलों ने दिल्ली सरकार को समर्थन करने का ऐलान किया है. केजरीवाल ने सभी दलों से इस बिल के खिलाफ राज्यसभा में वोटिंग करने की मांग की है.

Source : News Nation Bureau

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