कोरोना संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली में इस वक्त कोरोना से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. ऐसे में बेहतर हो कि दिल्ली सरकार इस संकट से निपटने में आर्मी की मदद लें. दरअसल आज सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राव का कहना था कि मेरी समझ से परे है कि आखिर दिल्ली सरकार संकट की इस घड़ी में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स का मदद लेने से क्यों हिचक रही है. निश्चित तौर पर हमारी सेना ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के दूसरे बेहतर विकल्प दे सकती है. ऐसे में बजाए ये कहने कि बिना ऑक्सीजन के बेड बेकार है , सैन्य बलों की सहायता लिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए.
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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने जवाब दिया कि डीआरडीओ और राधा स्वामी को पहले ही अप्रोच कर चुके हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके कहने का ये मकसद है कि आप आर्मी को अप्रोच नहीं करेंगे. इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि हम हर उससे मदद लेंगे जो सहायता कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि आर्मी के पास अपने संसाधन होंगे. हम आपको तीन दिन से इसके लिए बोल रहे हैं. आप ना जाने क्यों हिचक रहे हैं. इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि उच्च स्तर पर इस पर विचार हो रहा है. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सीधे कहा कि इसमें विचार की क्या बात है. आप सीधे अप्रोच कीजिए.
इसी बीच सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने एक बार फिर राजधानी दिल्ली को निर्धारित अलॉटमेंट के बजाए कम ऑक्सीजन मिलने की शिकायत की. दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि दिल्ली को केंद्र सरकार की ओर से 490 मैट्रिक टन अलॉटमेंट हुआ है, जबकि दिल्ली बॉर्डर पर अभी महज 312 टन उपलब्ध है. अब तो टैंकर की भी दिक्कत नहीं. सप्लायर्स बिना वजह हीला-हवाली कर रहे हैं तो ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. वो दबाव में दिल्ली की ऑक्सीजन दूसरे राज्यों में डाइवर्ट कर रहे हैं. कम से कम 490 मीट्रिक टन तो दिल्ली को मिलनी ही चाहिए. हमे कोई टाइमिंग, शेड्यूल नहीं दिया जाता.
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इससे पहले शुक्रवार को भी दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की थी. हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार से पूछा कि सेना की मदद लेने पर क्या सोचा है. तब दिल्ली सरकार के तरफ से कहा गया कि उन्होंने डीआरडीओ से बात की है. राज्य के हेल्थ डिपार्टमेंट ने रिक्वेस्ट की है. इस बाबत केंद्र को भी वो लिखेंगे. 2 दिन का वक्त और चाहिए क्योकि अधिकारी कोरोना से संक्रमित हैं. वही राज्य सरकार के तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वो रोजाना 70 से 80 हजार लोगो का कोरोना टेस्ट करवा रहे हैं. कर्फ्यू से पहले तकरीबन 30 हजार लोगो का कोविड टेस्ट होता था जो अब नही हो रहा है. इसके अलावा लैब में भी टेस्ट हो रहे हैं. राज्य सरकार ने काफी मात्रा ने टेस्ट किट का ऑर्डर दिया है. लेकिन सप्लायर को भी कोरोना हो गया है.