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कोरोना वायरसः दिल्ली में एक हफ्ते में नये मामलों का औसत घटा, ठीक होने की दर 70 फीसदी

दिल्ली में कोविड-19 से संक्रमित होने की दर गिर कर 10.58 प्रतिशत हो गई है, जो करीब 37 फीसदी पहुंच गयी थी. पिछले सप्ताह में मामलों की औसत संख्या में भी लगभग 1,000 की गिरावट आई है जो अच्छा संकेत है.

Updated on: 05 Jul 2020, 07:36 AM

दिल्ली:

दिल्ली में कोविड-19 (COVID-19) से संक्रमित होने की दर गिर कर 10.58 प्रतिशत हो गई है, जो करीब 37 फीसदी पहुंच गयी थी. पिछले सप्ताह में मामलों की औसत संख्या में भी लगभग 1,000 की गिरावट आई है जो अच्छा संकेत है. हालांकि विशेषज्ञों चेताया है कि लोगों ने अगर सतर्कता नहीं बरती तो मामले बढ़ सकते हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा कि दिल्ली में संक्रमण से ठीक होने की दर 70 फीसदी को पार कर गई है. राष्ट्रीय दर 60.81 प्रतिशत है.

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स्वास्थ्य विभाग के एक बुलेटिन के मुताबिक, शनिवार को 2505 नए मामले सामने आए और कुल मामले 97,200 पर पहुंच गए. 55 और मरीजों की मौत होने के बाद मृतकों का आंकड़ा 3,004 पर पहुंच गया. दिल्ली में संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 25,940 है. यह 24 जून के बाद, पहली बार है जब सक्रिय मामलों की संख्या गिर कर 25 हजार के दायरे में आ गई है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'दिल्ली के दो करोड़ लोगों की कोशिश के कारण, कड़ी मेहनत रंग लाई. दिल्ली में (संक्रमण से) ठीक होने की दर 70 फीसदी से ज्यादा करने के लिए सभी कोरोना योद्धाओं को बधाई. हम सबको कोरोना को हराने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है.'

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सिसोदिया ने भी ट्विटर कर कहा कि 97,200 मरीजों में से 68,256 मरीज ठीक हो गए हैं. उन्होंने बताया कि संक्रमित होने की दर 10.58 फीसदी पर आ गई है जो पहले 36.94 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. ये उन लोगों का प्रतिशत है जो कोरोना वायरस के कुल परीक्षणों में से संक्रमित पाए गए हैं. दिल्ली में लगातार सातवें दिन नए मामले दो हजार के दायरे में आए.
राष्ट्रीय राजधानी में 23 जून को सबसे ज्यादा 3947 मामले सामने आए थे. शहर में 26 जून तक रोजाना तीन हजार से ज्यादा मामले आए थे. वहीं, 27 जून से चार जुलाई तक नये मामलों का औसत 2,494 था जबकि इसके हफ्ता भर पहले प्रतिदिन औसत 3,446 था. विशेषज्ञों का दावा है कि अगर यही क्रम जारी रहा तो शहर में कोविड-19 के सबसे ज्यादा मामले अगस्त के शुरू में हो सकते हैं. बहरहाल, उन्होंने चेताया कि अगर एक-दूसरे से दूरी बनाने और स्वच्छता के नियमों का लोगों ने पालन नहीं किया तो मामले एक बार फिर बढ़ सकते हैं.

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘यदि दिल्ली में (कोविड-19 के) मामलों की संख्या अगले कुछ हफ्तों में स्थिर रहती है या इसमें कमी आती है तो, ... तथा इसका घटना सतत रूप से जारी रहता है, तब हम कह सकते हैं कि हम अगस्त में चरम सीमा को पार करेंगे.’

उन्होंने कहा कि लेकिन यह सिर्फ तभी होगा जब हम सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना जारी रखेंगे, बताये गये एहतियात बरतेंगे तथा लॉकडाउन की पाबंदियों में छूट दिये जाने के बावजूद पूरी सावधानी बरतेंगे. डॉ गुलेरिया ने कहा, ‘कुछ शहरों में मामलों के बढ़ने की प्रवृत्ति में कमी आई है, लेकिन जब लॉकडाउन हट जाएगा तब लोग नियमों का पालन नहीं करेंगे और इसके चलते मामले तेज गति से बढ़ेंगे. इसलिए, आत्मसंतुष्ट होने की कोई गुंजाइश नहीं है. किसी की ओर से कहीं भी यदि चूक होगी तो इससे मामले तेजी से बढ़ेंगे.’

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कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अस्पतालो की तैयारी को मजबूत करने की दिल्ली सरकार की समिति के प्रमुख महेश वर्मा ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों के संबंध में दिल्ली को नए पूर्वानुमान की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जैसी प्रवृत्ति चल रही है , उसे देखते हुए हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमें उतने बेडों की जरूरत नहीं पड़े, जितने का पहले अंदाजा लगाया गया था. इस बीच दिल्ली ने जांच करने की क्षमता को खासा बढ़ाया है. दिल्ली में 5.96 लाख से ज्यादा जांच की गई हैं जिनमें से 45 प्रतिशत से ज्यादा पिछले 16 दिन में की गई हैं. यह निषिद्ध क्षेत्रों में और उनके आसपास रैपिड एंटीजन पद्धति का इस्तेमाल करने के बाद हुआ है.

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