पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास में सांप्रदायिक तनाव, बकरा बांधने को लेकर हुआ विवाद हिंसक

Communal tension in East Delhi: पूर्वी दिल्ली के संवेदनशील क्षेत्र खजूरी खास में बुधवार को हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव ने हिंसक रूप ले लिया. मामूली विवाद की शुरुआत दिन में एक बकरा बांधने को लेकर हुई

Rahul Dabas & Dheeraj Sharma
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Delhi Communal Tension

Communal tension in East Delhi: पूर्वी दिल्ली के संवेदनशील क्षेत्र खजूरी खास में बुधवार को हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव ने हिंसक रूप ले लिया. मामूली विवाद की शुरुआत दिन में एक बकरा बांधने को लेकर हुई, लेकिन रात होते-होते यह हमला और गिरफ्तारी में तब्दील हो गया. 

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दिन में हुआ था मामूली विवाद

जानकारी के मुताबिक, दोपहर करीब 1:00 बजे मनोज धामा के परिवार ने सामने की गली में मौजूद एक ऑटो शॉप से आग्रह किया कि वे अपने बकरे उनके घर के पास न बांधें. यह ऑटो शॉप मुस्लिम समुदाय के स्वामित्व में है. दोनों पक्षों के बीच कहासुनी के बाद दिल्ली पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को शांत कर दिया गया. गली में हाल ही में एक व्यक्ति की मृत्यु भी हुई थी, जिस कारण संवेदनशीलता और बढ़ गई थी.

रात में हमला, तीन लोग घायल

शांति बनाए रखने के कुछ ही घंटों बाद, रात करीब 9:00 बजे मुस्लिम समुदाय से जुड़े कुछ युवकों ने मनोज धामा, उनकी पत्नी और बहन पर चाकू से हमला कर दिया. तीनों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है.

मनोज धामा के भाई चांद वीर धामा ने दावा किया कि हमलावरों ने उनके ऊपर भी पिछली गली में गोली चलाई, लेकिन वह बाल-बाल बच गए.

हिरासत में 8 लोग 

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आठ आरोपियों को हिरासत में लिया है. दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मामले की जांच में जुटे हैं और पूरे इलाके में रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को तैनात कर दिया गया है। साथ ही स्थानीय थाने की फोर्स भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

पलायन की आशंका

चांद वीर धामा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "अगर हमारे ऊपर इस तरह के हमले जारी रहे तो हमें अपना घर बेचकर यहां से पलायन करना पड़ेगा।"

खजूरी खास 2020 के दिल्ली दंगों में भी हिंसा की चपेट में आ चुका है और तब से लेकर अब तक हिंदू परिवारों के पलायन की घटनाएं सामने आती रही हैं.

प्रशासन की चुनौती

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और सुरक्षा बल सक्रिय हैं, लेकिन यह घटना बताती है कि दिल्ली जैसे महानगरों में भी धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता पर खतरा मंडरा रहा है. प्रशासन के लिए यह केवल कानून-व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि समुदायों के बीच विश्वास बहाली की चुनौती भी है.

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