CGWB Report में बड़ा खुलासा, Delhi के Groundwater में मिला Uranium, स्वास्थ्य पर बढ़ा खतरा

दिल्ली में पीने का पानी गंभीर रूप से दूषित पाया गया है. भूजल (ग्राउंडवॉटर) में यूरेनियम, फ्लोराइड और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा बढ़ने से स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ गया है, जिससे लोगों में चिंता बढ़ी है.

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Deepak Kumar
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दिल्ली में पीने का पानी गंभीर रूप से दूषित पाया गया है. भूजल (ग्राउंडवॉटर) में यूरेनियम, फ्लोराइड और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा बढ़ने से स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ गया है, जिससे लोगों में चिंता बढ़ी है.

देश की राजधानी दिल्ली में हवा के साथ-साथ अब पानी भी गंभीर रूप से दूषित पाया जा रहा है. भूजल की रिपोर्ट में यूरेनियम, लेड, फ्लोराइड और इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी की मात्रा सामान्य से कई गुना ज्यादा दर्ज की गई है. ऐसे में स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ गया है. आपको बता दें कि पूरे भारत की तुलना में भूजल प्रदूषण में पंजाब पहले, हरियाणा दूसरे और दिल्ली तीसरे स्थान पर है.

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CGWB की रिपोर्ट के अनुसार

जाने-माने रिवर एनवायरमेंटलिस्ट पंकज कुमार के अनुसार, सीजीडब्ल्यूबी (Central Ground Water Board) की रिपोर्ट में पाया गया कि 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की सीमा से ऊपर यूरेनियम की मात्रा दिल्ली के 15.66% नमूनों में मिली है. इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी 33.3% और फ्लोराइड 17.78% तक पहुंच गया है, जो हड्डियों और दांतों के लिए बेहद खतरनाक है. यूरेनियम से कैंसर और किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

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दिल्ली के 5500 ट्यूबवेल और रैनीवेल से करीब 425 एमएलडी पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस पानी का ठीक से उपचार नहीं किया जाता, सिर्फ क्लोरीन मिलाकर भेज दिया जाता है. सबसे बड़ी चिंता यह है कि पीने के पानी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, जबकि बीआईएस मानक में 72 पैरामीटर की जांच जरूरी है.

विशेषज्ञों ने तत्काल कार्रवाई की मांग की

पंकज कुमार का कहना है कि ओवर-एक्सट्रैक्शन, खेतों में फॉस्फेट-आधारित खाद का इस्तेमाल और बिना उपचार के औद्योगिक व घरेलू गंदे पानी के कारण यह समस्या तेजी से बढ़ी है. 2020 में यूरेनियम प्रदूषण 10% था, जो 2024 में बढ़कर 15% हो गया.

विशेषज्ञों ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है- पहले सभी ट्यूबवेल पानी की जांच सार्वजनिक की जाए और वैज्ञानिक गाइडलाइन के अनुसार उपचार किया जाए, ताकि हेल्थ क्राइसिस से बचा जा सके. अब देखना होगा कि रिपोर्ट के बाद सरकार कितनी तेजी से कदम उठाती है, क्योंकि संकट हर दिन गहराता जा रहा है.

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