दिल्ली में जहरीली हवा से सांसें थमीं, आज भी राहत की उम्मीद नहीं
दिल्ली में वायु प्रदूषण से फिलहाल कोई राहत नहीं मिल रही है. पटाखों पर पाबंदी की धज्जियां उड़ाते हुए दिवाली मनाए जाने के दो दिन बाद शहर धुंध और धुएं से भर हुआ है.
highlights
- हवा की गुणवत्ता 533 तक पहुंचने के साथ और बिगड़े हालात
- पीएम 10 का स्तर बढ़ने से अभी भी हवा जहरीली बनी हुई है
- पराली उत्सर्जन का हिस्सा आज 36 प्रतिशत पर पहुंच गया
नई दिल्ली:
दिल्ली में वायु प्रदूषण से फिलहाल कोई राहत नहीं मिल रही है. पटाखों पर पाबंदी की धज्जियां उड़ाते हुए दिवाली मनाए जाने के दो दिन बाद शहर धुंध और धुएं से भरा हुआ है. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) द्वारा अपडेट किए गए नए अनुमानों के अनुसार, दिल्ली में हवा की गुणवत्ता शनिवार सुबह 533 तक पहुंचने के साथ और बिगड़ चुकी है. दिल्ली में पीएम 10 का स्तर बढ़ने से अभी भी हवा जहरीली बनी हुई है. दिल्ली विश्वविद्यालय, पूसा, लोधी रोड, मथुरा रोड, IIT-दिल्ली और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (टर्मिनल 3) सहित राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की गई है. एक्यूआई क्रमश: 580, 520, 548,540, 623 और 488 रहा.
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सफर के अनुसार, 51 और 100 के बीच एक्यूआई को 'संतोषजनक' या 'बहुत अच्छा' माना जाता है, 101-200 को 'मध्यम' माना जाता है, 201-300 को 'खराब' की श्रेणी में रखा जाता है, जबकि 300-400 को 'बहुत खराब' माना जाता है वहीं 401-500 के बीच का स्तर 'खतरनाक' श्रेणी में आता है.
गुरुग्राम और नोएडा में 'गंभीर' हवा
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर भी 'गंभीर' श्रेणी में था, जहां शनिवार सुबह गुरुग्राम और नोएडा में एक्यूआई क्रमश: 591 और 452 दर्ज किया गया. SAFAR के अनुसार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता दीवाली की रात आतिशबाजी के उत्सर्जन ने हवा की गुणवत्ता को "बहुत खराब" से "गंभीर" श्रेणी में ला दिया था. सफर मॉडल के अनुसार, पराली उत्सर्जन का हिस्सा आज 36 प्रतिशत पर पहुंच गया है. पिछले 24 घंटों में पीएम2.5 का स्तर 2020 की तुलना में अधिक है, लेकिन 2018 की तुलना में बहुत कम है. हालांकि, स्थानीय हवाओं ने गति पकड़ ली है और अब तेजी से फैलाव की उम्मीद है. वहीं पराली का योगदान लगभग आज के समान ही रहने की उम्मीद है. फिलहाल 7 नवंबर की शाम से ही राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन एक्यूआई 'बेहद खराब' श्रेणी में घटता-बढ़ता रहेगा.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, PM2.5 प्रदूषक फेफड़ों के कैंसर जैसी हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं. भारत में जहरीली हवा से सालाना दस लाख से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध सफल नहीं हुआ और इससे खतरनाक प्रदूषण का स्तर बढ़ गया.
स्मॉग टावर भी हुआ फेल
दीवाली पर दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में गिरने के बाद लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है. दिल्ली के कनॉट प्लेस में हाल ही में स्थापित स्मॉग टॉवर आसपास के क्षेत्र के निवासियों को शुद्ध हवा नहीं दे पा रही है. आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि स्मॉग टावर कुछ हद तक प्रदूषण को कम कर सकते हैं वहीं पर्यावरणविदों की राय है कि यह साबित करने के लिए कोई सिद्ध रिकॉर्ड नहीं है कि स्मॉग टावर पूरी तरह प्रभावी हैं.
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