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दिल्ली पुलिस का वह युवा अफसर, जिसके शौर्य से गृह मंत्री भी प्रभावित

दिल्ली पुलिस के स्थापना समारोह के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अधिकारी अनुज कुमार की वीरता की खुले दिल से तारीफ की.

Updated on: 18 Feb 2022, 02:37 PM

highlights

  • सीएए के विरोध में पूर्वी दिल्ली में हुई थी हिंसा
  • प्रदर्शनकारियों के भेष में दंगाइयों ने किया बलवा
  • तत्कालीन एसीपी अनुज कुमार ने रोका था दंगा

नई दिल्ली:

सीएए कानून के विरोध में दिल्ली के चांदबाग इलाके में हुई हिंसा में घायल तत्कालीन एसीपी और वतर्मान में दीव में एसपी के तौर पर तैनात अनुज कुमार को दिल्ली पुलिस के 75वें स्थापना समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया. दरअसल अनुज कुमार उन जांबाज अफसरों में से एक हैं जिन्होंने अपने सीनियर आईपीएस अमित शर्मा के साथ मिलकर दंगाइयों का डटकर मुकाबला किया था. गौरतलब है कि 2020 में नागरिकता कानून के विरोध में पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा फैल गई थी और आंदोलनकारियों के भेष में छिपे दंगाइयो ने डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार पर कातिलाना हमला किया था. 24 फरवरी 2020 को दंगाइयो ने ये अफवाह फैला दी थी कि पुलिस की गोली से कुछ बच्चों की मौत हो गई है. इसके बाद भीड़ में छिपे दंगाइयों ने उस पुलिस टीम पर हमला कर दिया था जिसका नेतृत्व डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार कर रहे थे. 

दिल्ली पुलिस के स्थापना समारोह के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अधिकारी अनुज कुमार की वीरता की खुले दिल से तारीफ की. शाह ने कहा कि मुझे गर्व है ऐसे अफसरों पर जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए राजधानी को सुलगते दंगों की आग से न केवल बचाया, बल्कि इंसानियत की एक अनूठी मिसाल कायम की. गृह मंत्री अमित शाह ने अनुज कुमार के बारे में बोलते हुए कहा कि अमित जैसे युवा अधिकारी प्रेरणा के वे स्त्रोत हैं जिनके लिए फर्ज पर मर मिटना ही सबसे बड़ी पूजा है. अनुज कुमार वो पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने दंगाइयों का डटकर मुकाबला किया और हमले में घायल होने पर उन्होंने काफी दिनों तक आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष में जीत हांसिल की.

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अनुज बताते हैं कि उस वक्त सिचुएशन को हैंडल करना बेहद चैलेंजिंग था, क्योंकि 40 पुलिसकर्मियों के सामने अचानक तीस हजार लोगों की भीड़ आ गई, जो लगातार पथराव कर रही थी. यही नहीं, दंगाइयों ने मासूम बच्चों और महिलाओं को अपनी ढाल बना आगे किया हुआ था, जिसके चलते पुलिस गोली और पत्थर के हमले का माकूल जवाब देने की स्थिति में नहीं थी, लेकिन डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज ने भागने के बजाय खड़े रहने का निर्णय लिया और दोनों अफसर तब तक मुकाबला करते रहे जब तक उनको गंभीर रूप से घायल होने पर अधीनस्थ कर्मी बहादुरी दिखाते हुए अस्पताल लेकर नहीं गए.