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'दहेज हत्या के आरोपी अंतरिम जमानत पाने के योग्य'

दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने अदालत को बताया कि न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली उच्च शक्ति प्राप्त समिति ने 20 जून को हुई एक बैठक में तय किया कि दहेज हत्या के मामलों में दो साल से ज्यादा जेल काट चुके आरोपी 45 दिन की अं

Updated on: 22 Jun 2020, 03:40 PM

दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सोमवार को सूचित किया कि उच्च शक्ति प्राप्त एक समिति ने निर्णय किया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान जेलों को खाली करने के क्रम में दहेज हत्या मामलों के आरोपी भी अंतरिम जमानत पाने के योग्य हैं. यह दलील मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष दी गई जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान दहेज हत्या मामलों के आरोपियों को अंतरिम जमानत देने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने अदालत को बताया कि न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली उच्च शक्ति प्राप्त समिति ने 20 जून को हुई एक बैठक में तय किया कि दहेज हत्या के मामलों में दो साल से ज्यादा जेल काट चुके आरोपी 45 दिन की अंतरिम जमानत पाने के योग्य हैं. अग्रवाल ने पीठ को यह भी बताया कि ऐसे मामलों में आरोपी बनाए गए ससुराल पक्ष के उन लोगों को भी राहत दी जा सकती है जो एक साल से अधिक जेल में रह चुके हैं. दिल्ली सरकार के वकील की दलील पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि अधिवक्ता आलोक त्रिपाठी द्वारा याचिका में उठाई गई शिकायतों का 'निवारण होता है' और याचिका का निपटान किया.

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त्रिपाठी ने यह दावा करते हुए अदालत का रुख किया कि उन्होंने 24 मई को उच्च समिति को प्रतिवेदन दिया था कि दहेज हत्या मामलों में आरोपियों को कोविड वैश्विक महामारी के दौरान अंतरिम जमानत दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए जेलों को खाली करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उच्च शक्ति प्राप्त इस समिति का गठन किया गया था.