logo-image

छत्तीसगढ़ में अब तक 44.73 लाख से अधिक टीके लगाए गए

छत्तीसगढ़ में कोरोना से बचाव के लिए अब तक (12 अप्रैल तक) 44 लाख 73 हजार 200 टीके लगाए जा चुके हैं. प्रदेश के चार लाख 31 हजार 888 लोगों को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं.

Updated on: 13 Apr 2021, 03:59 PM

रायपुर:

छत्तीसगढ़ में कोरोना से बचाव के लिए अब तक (12 अप्रैल तक) 44 लाख 73 हजार 200 टीके लगाए जा चुके हैं. प्रदेश के चार लाख 31 हजार 888 लोगों को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं. इनमें एक लाख 96 हजार 601 स्वास्थ्य कर्मी, एक लाख 40 हजार 358 फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक उम्र के 94 हजार 929 लोग शामिल हैं. कोरोना टीकाकरण की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि प्रदेश के 88 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों, 85 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक के 60 प्रतिशत लोगों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लगाया जा चुका है. वहीं 58 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों और 48 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके का दूसरा डोज भी दिया जा चुका है. 

और पढ़ें: क्या फिर पूरा देश घर में हो जाएगा बंद, लॉकडाउन को लेकर इन राज्यों ने किया ये फैसला

प्रदेश में अब तक 45 वर्ष से अधिक उम्र के 34 लाख 98 हजार 378 लोगों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लगाया जा चुका है. इनमें से 94 हजार 929 ने इसकी दूसरी खुराक भी ले ली है. प्रदेश भर में इस आयु वर्ग के कुल 58 लाख 66 हजार 599 लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य है. प्रदेश के दो लाख 96 हजार 794 स्वास्थ्य कर्मियों और दो लाख 46 हजार 140 फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना से बचाव का पहला टीका लगाया जा चुका है. इन दोनों श्रेणियों में लक्षित क्रमशः 88 प्रतिशत और 85 प्रतिशत कार्मिकों को पहली खुराक दी जा चुकी है. प्रदेश में शासकीय व निजी क्षेत्र के कुल तीन लाख 38 हजार 844 स्वास्थ्य कर्मियों और दो लाख 90 हजार 720 फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण का लक्ष्य है.

 छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को रेल या हवाई मार्ग से छत्तीसगढ़ आने वाले यात्रियों के कोरोना परीक्षण के संबंध में नया दिशा-निर्देश जारी किया है. इसके मुताबिक, केवल उन्हीं यात्रियों को घर जाने की इजाजत दी जाएगी, जिनके पास आरटी-पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट होगी. राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है, जिन यात्रियों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव होगी केवल उन्हें ही घर जाने की अनुमति दी जाएगी. जिनके पास नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट नहीं होगी, उनका कोरोना टेस्ट कराया जाएगा और अगर इसमें नतीजा पॉजिटिव आता है, तो इस स्थिति में उन्हें एक लोकल क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा.

नए नियम के मुताबिक, निर्धारित समयावधि में आरटी-पीसीआर टेस्ट न कराने वाले यात्रियों का रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर ही टेस्ट किया जाएगा. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें संस्थागत क्वारंटाइन, कोविड केयर सेंटर या अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मानकों के अनुरूप रखा जाएगा.

अगर इस परिस्थिति में कोई यात्री अपना कोविड टेस्ट कराने की अनुमति नहीं देता है, तो उन्हें सात दिन तक अपने खर्च पर खुद को क्वारंटाइन में रखना होगा. विभाग ने कहा कि छोटे बच्चों के माता-पिता की सहमति से कोरोना टेस्ट कराए जाने के बारे में निर्देश दिए गए हैं.