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Bihar News: बेतिया में युवक ने नए रंग की मोती का किया उत्पादन, इंटरनेट से सीखी खेती

युवक ने इंटरनेट से खेती करना सीख लिया और अब उससे लाखों की कमाई करने वाले हैं. उसने एक नए रंग की मोती की खेती की है.

Updated on: 23 Oct 2023, 01:47 PM

highlights

  • युवक ने इंटरनेट से खेती करना सीख लिया
  •  युवक ने एक नए रंग की मोती की खेती की है
  • नये रंग में मोती देखने को मिलेगा 
  • 8 हजार मोतियों का किया जा रहा उत्पादन 

Bettiah:

इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल तो सभी लोग करते हैं. हम इसे बस मनोरंजन के लिए ही देखते हैं, लेकिन बेतिया के एक युवक ने इसका ऐसा इस्तेमाल किया है जो की आप सोच भी नहीं सकते हैं. युवक ने इंटरनेट से खेती करना सीख लिया और अब उससे लाखों की कमाई करने वाले हैं. उसने एक नए रंग की मोती की खेती की है. जो की तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है. लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. अब आपको बेतिया में एक नए रंग का मोती देखने को मिलेगा. 

नये रंग में मोती देखने को मिलेगा 

दरअसल, बेतिया के नरकटियागंज में पहली बार नये रंग में मोती देखने को मिलने वाला है. पीएम मोदी के मन की बात के कार्यक्रम को सुनकर एक युवक ने मोती की खेती की शुरुआत की है. बताया जा रहा है कि किसान ने इंटरनेट से मोती उत्पादन की पहले जानकारी ली और अपनी अलग पहचान बना कर शिवा आंनद साह एक छोटे से तालाब में करीब आठ हजार मोतियों का उत्पादन कर रहे हैं. जो की लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस तालाब में वो मछली पालन के साथ बत्तख पालन भी करते हैं.

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8 हजार मोतियों का किया जा रहा उत्पादन 

नरकटियागंज प्रखंड अंतर्गत तरहारवा गांव निवासी शिवा आंनद साह द्वारा छोटे से तालब में करीब आठ हजार मोतियों का उत्पादन किया जा रहा है. ये मोती 18 से 24 महीनों में तैयार हो जाती हैं. एक शिप में दो मोती तैयार होता हैं. मोती उत्पादन को लेकर उनके द्वारा अब तक करीब 1.30 लाख रुपये खर्च किया गया है. उक्त राशि से वे आठ हजार सीप मोती का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मोती तैयार होने में 12 से 14 माह का समय लगता है. मोती बनने की प्रक्रिया में अबतक आठ माह का समय बीत चुका है. अगले वर्ष अप्रैल-मई माह में उन्हें अपनी मेहनत का फल दिखने लगेगा. उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर सहयोग नहीं मिलने की वजह से कभी-कभी आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ती है, लेकिन इससे उनका मनोबल नहीं टूटता. अगर सरकारी स्तर पर लाभ मिले तो इससे बेहतर कर सकते हैं.

रिपोर्ट - सत्येन्द्र कुमार पाण्डेय