स्थापित होने जा रहा है दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग, एक ही पत्थर से तैयार अनोखी कारीगरी

World's Tallest Shivling: बिहार एक ऐतिहासिक आध्यात्मिक आयोजन का गवाह बनने वाला है. दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे भारी अखंड शिवलिंग यहां स्थापित होने वाला है, जिसकी देशभर में व्यापक चर्चा हो रही है.

World's Tallest Shivling: बिहार एक ऐतिहासिक आध्यात्मिक आयोजन का गवाह बनने वाला है. दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे भारी अखंड शिवलिंग यहां स्थापित होने वाला है, जिसकी देशभर में व्यापक चर्चा हो रही है.

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Ravi Prashant
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दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग Photograph: (X)

World's Tallest Shivling: बिहार एक ऐतिहासिक आध्यात्मिक घटना का गवाह बनने जा रहा है. यहां दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे भारी एकाश्म शिवलिंग स्थापित होने वाला है, जिसकी चर्चा पूरे देश में तेज हो गई है. यह सिर्फ आकार में विशाल नहीं है, बल्कि इसे तैयार करने का तरीका भी बेहद दुर्लभ है पूरा शिवलिंग एक ही पत्थर को काटकर गढ़ा गया है.

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तीन मंजिला मकान जितनी ऊंचाई

जानकारी के अनुसार इस विशाल शिवलिंग का वजन करीब 2 लाख 15 हजार किलो है. इसकी ऊंचाई 33 फीट है, यानी लगभग तीन मंज़िला इमारत जितनी. इतना बड़ा ढांचा तैयार करना अपने आप में कठिन था, लेकिन तमिलनाडु के महाबलीपुरम जिले के कलाकारों ने इसे अपनी कला और धैर्य से संभव कर दिखाया. इस विशाल शिवलिंग को 96 चक्कों वाले विशेष ट्रेलर के जरिए बिहार तक लाया जा रहा है.

कई राज्यों से होकर पहुंचेगा बिहार

शिवलिंग की यात्रा भी कम रोचक नहीं है. यह तमिलनाडु से निकलकर आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड होते हुए बिहार के चंपारण जिले में पहुंचेगा. यात्रा इतनी बड़ी और भारी होने के कारण कई जगहों पर सड़कों को चौड़ा किया गया है और पुलों को भी मजबूत किया गया है, ताकि रास्ते में कोई तकनीकी दिक्कत न आए.

कहां पर होगा शिवलिंग की स्थापना?

जिस स्थान पर यह शिवलिंग स्थापित होने जा रहा है, वह भी बेहद खास है विराट रामायण मंदिर, जो रामायण काल की पूरी कथा को भव्य रूप में दर्शाने वाला एक अनोखा धार्मिक परिसर बनने जा रहा है. यह मंदिर खुलने के बाद देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा, और विशाल शिवलिंग इस पूरे परिसर का मुख्य केंद्र होगा.

बनाने में लगा 10 साल का समय

सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस शिवलिंग को बनाने में करीब 10 साल की मेहनत लगी है. विनायक वेंकटरमण की कंपनी ने इसे पारंपरिक कारीगरी और आधुनिक तकनीक के मिश्रण से तैयार किया है. निर्माण पर लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. पत्थर की गुणवत्ता, आकार और मजबूती को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना वर्षों तक सावधानी से चलाई गई.

अब जब शिवलिंग अपनी अंतिम यात्रा पर है, अनुमान है कि इसे बिहार पहुंचने में 20–25 दिन लगेंगे. मंदिर प्रबंधन की योजना है कि इसे जनवरी के अंत या फरवरी 2026 की किसी शुभ तिथि पर स्थापित किया जाएगा.

यह सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है. यह भारतीय शिल्पकला, परंपरा और अध्यात्म की ताकत का एक अद्भुत उदाहरण है, जिसे देखने के लिए निश्चित ही दुनिया भर से श्रद्धालु और पर्यटक बिहार पहुंचेंगे.

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