logo-image

बेतिया के शख्स का कमाल, कभी बर्तन बनाने का करते थे काम, आज खुद का खोला कारखाना

प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल का सपना चनपटिया के लोगों के लिए वरदान बन गया है और इसकी वजह आनंद कुमार हैं. जिन्होंने अपने स्टार्टप से खुद को तो आत्मनिर्भर बनाया ही, साथ ही गांव के लोगों को भी रोजगार से जोड़ा

Updated on: 25 Jul 2023, 04:45 PM

highlights

  • बेतिया के शख्स का कमाल
  • कभी बर्तन बनाने का करते थे काम
  • आज खुद का खोला बर्तन का कारखाना

 

Bettiah:

प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल का सपना चनपटिया के लोगों के लिए वरदान बन गया है और इसकी वजह आनंद कुमार हैं. जिन्होंने अपने स्टार्टप से खुद को तो आत्मनिर्भर बनाया ही, साथ ही गांव के लोगों को भी रोजगार से जोड़ा. आज आनंद कुमार भले ही बर्तन उद्योग से साल का 50 लाख कमाते हैं, लेकिन उनके लिए ये सफर आसान नहीं था. दरअसल, आनंद पहले दिल्ली में काम करते थे. ऐसे में उन्होंने खुद का कारोबार करने का सोचा. जिसके बाद प्रधानमंत्री उद्दमी योजना से 20 लाख का लोन लेकर बर्तन कारोबार शुरू किया और आज ये कारोबार इतना बढ़ गया है कि वो इससे 50 लाख का टर्न ओवर कमा रहे है.

यह भी पढ़ें- सांप काटने पर इलाज के बजाए अस्पताल में शुरू हुआ तंत्र-मंत्र का खेल, डॉक्टर्स देखते रहे तमाशा

बेतिया के आनंद कुमार ने किया कमाल

आनंद अब अपने गांव से काम करते हैं और उनके बर्तनों की डिमांड असम, बंगाल, यूपी समेत कई राज्यों में है. आनंद की मेहनत का नतीजा है कि जो कल तक दिल्ली में बर्तन बनाने के कारखाने में काम कर रहे थे, आज उनका खुद का बर्तन कारखाना है. जिसमें अभी 28 लोग काम करते हैं. यहां काम करने वाले मजदूर भी कभी दिल्ली में काम किया करते थे, लेकिन अब घर के पास कारखाना होने से इनके लिए आवाजाही में भी आसानी होती है. यानी बिना पलायन के ही इन्हें रोजगार मिल गया है.

कभी बर्तन बनाने का करते थे काम, आज खुद का खोल लिया कारखाना

बिहार के चनपटिया की ये पहली कहानी नहीं है. कोरोना काल के बाद यहां कई छोटे उद्योग की स्थापना हुई है. जिसके चलते चनपटिया को बिहार में स्टार्टप का हब तक कहा गया, जो लोग कभी महानगरों में मजदूरी कर बामुश्किल गुजारा कर पाते थे. वो आज सरकारी योजनाओं की मदद से उद्योग की स्थापना कर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं और लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.