क्या NDA में जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा? सत्ता पक्ष और विपक्ष में तेज वार-पलटवार
उपेंद्र कुशवाहा की दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. अब उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि JDU के बड़े नेता बीजेपी के संपर्क में है.
उपेंद्र कुशवाहा की दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. अब उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि JDU के बड़े नेता बीजेपी के संपर्क में है.
उपेंद्र कुशवाहा की दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. अब उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि JDU के बड़े नेता बीजेपी के संपर्क में है. इसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि बिहार की सियासत में एक बार फिर उथल-पुथल का नजारा देखने को मिलेगा. हालांकि ये अभी दावे ही हैं. मुहर नहीं लगी, लेकिन इस बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष में बयानबाजी चरम पर है. बिहार की राजनीति का अलग इतिहास रहा है. यहां कि आब-ओ-हवा कब किसके पक्ष में चली जाए... कुछ कह नहीं सकते. उपेंद्र कुशवाहा का दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मिलना NDA में उनकी वापसी के संकेत दे रहा है.
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दरअसल उपेंद्र कुशवाहा ने दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात की. इसके बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई. अब अफवाहों का बाजार गर्म है कि शायद कुशवाहा NDA में वापस जा सकते हैं, लेकिन इस बीच बीजेपी नीतीश पर हमलावर हो गई है. कुशवाहा की वापसी से तो बीजेपी को कोई परहेज़ नहीं है, लेकिन पार्टी ने ये साफ कर दिया है कि अब नीतीश कुमार की NDA में वापसी नहीं होगी. बीजेपी का मानना है कि बिहार की राजनीति के लिए नीतीश अप्रसांगिक हो गए हैं.
एक तरफ बीजेपी सीएम नीतीश को अप्रासंगिक बता रही है तो वहीं दूसरी ओर RJD और JDU बीजेपी पर निशाना साध रही है. सत्ता पक्ष के नेताओं का कहना है कि सीएम नीतीश की वजह से ही बीजेपी बिहार में सत्ता में रही है. इतना ही नहीं JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने तो संजय जायसवाल को ये तक कह दिया कि उनके पैतृक गांव की सड़कें भी नीतीश कुमार की वजह से बनी है.
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस भी मामले को लेकर बीजेपी को आड़े हाथ ले रही है. कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजेपी की ये परंपरा है कि बीजेपी बुजुर्ग नेताओं को अपमानित करती है और उन्हें हाशिए पर रखती है.
बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. बिहार की राजनीति में सीएम नीतीश कुमार की प्रासंगिकता पर बीजेपी सवाल उठा रही है लेकिन कहते हैं ना कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त या दुश्मन नहीं होता. क्योंकि सीएम नीतीश ने भी कहा था कि वो बीजेपी के साथ नहीं जा सकते है, लेकिन सत्ता वापसी के बाद बीजेपी से ही नाता जोड़ा. यानी कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति में कुछ भी परमानेंट नहीं होता. देखना दिलचस्प होगा कि दावे और बयानबाजियों का ये दौर प्रदेश में कौन सा सियासी उफान लाता है.