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bihar election results Photograph: (social media)
Bihar Election Results 2025: आरजेडी को बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली है. महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गई है. वहीं एनडीए ने 202 सीटें पाकर प्रचंड बहुत हासिल किया है. इस हार के बाद से आरजेडी में सिर फुटव्वल के हालत बन चुके हैं. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने खुलकर बगावत कर दी है. उन्होंने शनिवार को एक पोस्ट करके यह जता दिया कि पार्टी किसी और के इशारे पर काम कर रही है. उन्होंने पार्टी के साथ परिवार से भी नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने संजय यादव और रमीज पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उन पर यह कदम उठाने का दबाव डाला था. पोस्ट में रोहिणी ने लिखा,"मैं सारा दोष खुद पर ले रहीं हूं".
आखिर कौन हैं संजय यादव
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, संजय यादव वह शख्स हैं, जिनका पार्टी के हर बड़े फैसले में हाथ बताया जाता है. बताया जाता है कि तेजस्वी की हर रणनीति में संजय यादव ने अहम रोल अदा किया है. चाहे वह वोटर अधिकार यात्रा रैली हो या प्रचार में योजनाओं का पिटारा हो. संजय की हर रणनीति पर तेजस्वी आंख मूंद कर भरोसा कर रहे थे. हाल ही में एक इंटरव्यू में तेज प्रताप ने संजय को जयचंद कहकर पुकारा था. उनका कहना है था कि परिवार को कमजोर करने में संजय का बड़ा हाथ है. आपको बता दें कि तेज प्रताप को पार्टी से बेदखल कर दिया गया है. परिवार से भी वह दूर हो गए हैं.
एमएनसी में काम कर चुके हैं संजय यादव
तेजस्वी यादव के राइट हैंड संजय यादव बताए जाते हैं. उनकी दोस्ती काफी पुरानी है. संजय यादव ने कंप्यूटर साइंस में एमएससी और एमबीए किया हुआ है. करीब तीन साल एमएनसी में वे काम कर चुके हैं. कहा जाता है कि वे पार्टी पर मजबूत पकड़ बनाए हुए थे. उनकी हर बात को शतप्रतिशत अमल में लाया जा रहा था. तेज प्रताप के मामले में भी फैसला संजय का ही बताया गया था. अनुष्का यादव कांड के बाद पार्टी ने तुरंत तेज प्रताप से किनारा कर लिया था. बताया जाता है कि तेजस्वी परिवार के सदस्यों की सुनने के बजाय पूरी तरह से संजय के फैसलों पर निर्भर थे.
वोटर अधिकार यात्रा फ्लाप
चुनाव के दौरान आरजेडी की हर रणनीति फेल साबित हुई. वोटर अधिकार यात्रा पूरी तरह से फ्लाप साबित हुई. यह यात्रा जहां से भी निकली उन सीटों पर महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं एनडीए के आक्रामक चुनाव प्रचार के समाने आरजेडी का प्रचार काफी फीका रहा. चुनाव में उतरने से पहले प्रचार की रणनी​ति बेहद कमजोर रही, जिसका फायदा एनडीए को मिली. जंगलराज के टैग को आरजेडी हटा नहीं पाई. एनडीए ने इसे खूब भुनाया और अंत मे प्रचंड बहुमत हासिल किया.
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