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लालू परिवार में दरार Photograph: (NN)
बिहार की राजनीति में उठते तूफान के बीच लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य का पार्टी और परिवार से दूरी बनाना नए विवाद की बड़ी वजह बन गया है. रोहिणी ने जिस तरह दो नाम संजय यादव और रमीज का खुलकर लिया है, उसने RJD के भीतर लंबे समय से दबे तनाव को सतह पर ला दिया है. तेज प्रताप यादव पहले ही संजय यादव को इनडायरेक्टली‘जयचंद’कह चुके हैं, ऐसे में रोहिणी का बयान इस राजनीतिक परिवार में ‘महाभारत’ जैसी स्थिति का संकेत माना जा रहा है.
कौन है रमीज़?
रोहिणी की सीधी आलोचना का केंद्र बने रमीज़ नेमत खान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से हैं. उनकी पहचान सिर्फ एक राजनीतिक मैनेजर की नहीं, बल्कि विवादों से घिरे व्यक्ति की भी रही है. उन पर हत्या सहित कई गंभीर मामले दर्ज बताए जाते हैं. रमीज़ पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर के दामाद हैं और RJD की सोशल मीडिया तथा चुनावी रणनीतियों को निर्देशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनकी पत्नी भी विधानसभा चुनाव में किस्मत आज़मा चुकी हैं.
विशेष बात यह है कि रमीज़ तेजस्वी यादव के पुराने दोस्त हैं. 1986 में जन्मे रमीज़ ने DPS मथुरा रोड से 10वीं और जामिया मिलिया इस्लामिया से MBA किया. क्रिकेट में उनका लंबा सफर रहा. वे झारखंड टीम से फर्स्ट क्लास क्रिकेट के 30 मैच खेल चुके हैं. 2016 में RJD से जुड़ने के बाद उन्होंने तेजस्वी के दफ्तर में बैकडोर काम संभाला और धीरे-धीरे तेजस्वी की कोर टीम का हिस्सा बन गए. आज भी वे तेजस्वी की दिनचर्या, रणनीति और चुनावी मोर्चे की रोज़मर्रा की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं.
दूसरा नाम है संजय यादव
रोहिणी के निशाने पर दूसरा नाम है संजय यादव का. हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले संजय कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और उनके पास MBA की डिग्री भी है. 2012-13 में तेजस्वी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने पटना में डेरा जमाया और RJD की राजनीति में खुद को मज़बूत बनाया.
संजय यादव को तेजस्वी का सबसे भरोसेमंद राजनीतिक सलाहकार माना जाता है. RJD की सोशल मीडिया रणनीति, चुनावी संदेश और प्रचार अभियानों को आकार देने में उनकी भूमिका अहम रही है. हालांकि उनकी बढ़ती राजनीतिक दखलंदाज़ी को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने उन पर टिकट बेचने और प्रभाव का गलत इस्तेमाल करने जैसे आरोप भी लगाए हैं, जो समय-समय पर विवाद खड़ा करते रहे हैं. रोहिणी के हालिया रुख ने साफ कर दिया है कि RJD के भीतर शक्ति संतुलन की लड़ाई अब खुलकर सामने आ चुकी है और आने वाले दिनों में इस विवाद का असर पार्टी की राजनीति पर गहरा पड़ सकता है.
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