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उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी का जदयू में विलय, हुआ औपचारिक ऐलान

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) का नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड में विलय हो गया है.

Updated on: 14 Mar 2021, 01:59 PM

highlights

  • बिहार में RLSP का जदयू में विलय
  • उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी थी RLSP
  • आज विलय का औपचारिक ऐलान 

पटना:

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) का नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड (JDU) में विलय हो गया है. जिसका आज औपचारिक ऐलान भी कर दिया गया है. उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी रालोसपा (RLSP) का जदयू में विलय करने की घोषणा की है. आपको बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग गठबंधनों के साथ चुनाव मैदान में उतरे थे. लेकिन नई सरकार के गठन के कुछ महीने के बाद अब यह दल एक हो गए हैं. इसी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का कुनबा भी और मजबूत हो गया है.

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आरएलएसपी के जदयू में विलय के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज देश और राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए धर्मनिरपेक्षता का माहौल बनाये रखने के लिए, जो समाज के पिछड़े लोग हैं उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए हम लोगों ने निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में रालोसपा बिहार में काम करेगा. हम लोग जदयू के साथ मिलकर काम करेंगे.

उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि हम लोग दोनों दल के लोग मिलकर बैठेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे. उन्होंने कहा कि बिहार के तमाम लोग, जिन्होंने हमारा साथ दिया है उनका आभार प्रकट करता हूं. सभी से आग्रह है कि साथ मिलकर यहां से इस नए मुहिम में आगे चलें. कुशवाहा ने कहा कि बिहार की जनता ने जो जनादेश दिया, उसमें हम लोगों को साथ में चलने का आदेश है.

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हालांकि माना जा रहा है कि यह विलय राज्य में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए जदयू की योजनाओं का हिस्सा है. फिलहाल बिहार में जदयू के पास केवल 43 विधायक हैं और एनडीए सरकार में जूनियर पार्टनर है. 74 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी 2020 के विधानसभा चुनावों में बड़े भाई के रूप में उभरी थी. तो उधर, बिहार चुनावों में आरएलएसपी ने एक अलग गठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी शामिल थी. उपेंद्रु कुशवाहा ने खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, मगर रालोसपा एक भी सीट जीत नहीं पाई.