Bihar News: बिहार में आपदा प्रबंधन को लेकर 2005 के बाद बदली तस्वीर, राहत, बचाव और पुनर्वास के लिए बनी नई व्यवस्था

वर्ष 2005 के बाद बिहार में आपदा प्रबंधन की दिशा पूरी तरह बदल गई. सरकार ने राहत, बचाव और पुनर्वास के लिए नई व्यवस्थाएं बनाई, जिससे बाढ़, सुखाड़ और अन्य आपदाओं के दौरान लोगों को त्वरित सहायता और सुरक्षा मिल सके.

वर्ष 2005 के बाद बिहार में आपदा प्रबंधन की दिशा पूरी तरह बदल गई. सरकार ने राहत, बचाव और पुनर्वास के लिए नई व्यवस्थाएं बनाई, जिससे बाढ़, सुखाड़ और अन्य आपदाओं के दौरान लोगों को त्वरित सहायता और सुरक्षा मिल सके.

author-image
Deepak Kumar
New Update
CM Nitish Kumar siwan

CM Nitish Kumar Photograph: (Social)

Nitish Government: वर्ष 2005 से पहले बिहार में आपदाओं से बचाव के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी. बाढ़, सुखाड़, आग या भूकंप जैसी आपदाओं में लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उत्तर बिहार में लोग हर साल बाढ़ से त्रस्त रहते थे, वहीं दक्षिण-पश्चिम बिहार के लोग सूखे से जूझते थे. उस समय सरकार की ओर से न तो राहत कार्यों पर ध्यान दिया जाता था और न ही कोई स्थायी समाधान निकाला जाता था. बाढ़ राहत के नाम पर भ्रष्टाचार होता था और पीड़ितों तक मदद पहुंचने में महीनों लग जाते थे.

Advertisment

24 नवंबर 2005 को नई सरकार बनने के बाद आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दी गई. इसके तहत आपदा प्रबंधन विभाग की स्थापना की गई, ताकि राहत और बचाव से जुड़ा हर काम एक ही जगह से हो सके. वर्ष 2010 में मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की गई, जिससे बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति में राहत कार्य तेजी से हो सके. अब जरूरतमंदों को तुरंत चूड़ा, गुड़, आटा, चावल, दाल, दवा, तिरपाल, कपड़े आदि उपलब्ध कराए जाते हैं. प्रभावित परिवारों को एक क्विंटल अनाज और सामुदायिक रसोई की व्यवस्था भी की जाती है.

आर्थिक मदद और राहत शिविरों की सुविधा

बाढ़ पीड़ितों को 2007 से आनुग्रहिक अनुदान देना शुरू हुआ, जो अब बढ़ाकर 7,000 रुपये कर दिया गया है और सीधे डीबीटी के जरिए खाते में भेजा जाता है. राहत शिविरों में पीड़ितों के लिए भोजन, दूध, महिलाओं के लिए सैनेटरी नैपकिन और बच्चों के लिए आंगनबाड़ी की सुविधा दी जाती है. मुख्यमंत्री राहत कोष से वस्त्र, बर्तन, साबुन, तेल आदि भी दिए जाते हैं. बाढ़ के दौरान राहत शिविर या अस्पताल में जन्मे नवजातों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है.

पशुओं और किसानों के लिए विशेष प्रावधान

बाढ़ में पशुओं की सुरक्षा के लिए पशु राहत शिविर बनाए जाते हैं, जहां चारा और चिकित्सा की व्यवस्था रहती है. सूखा प्रभावित जिलों में जल संकट से निपटने के लिए ‘जल-जीवन-हरियाली अभियान’ चलाया गया, जिसमें तालाबों का पुनर्जीवन, पौधारोपण और वर्षा जल संग्रहण पर ध्यान दिया गया.

नई संस्थाएं और परियोजनाएं

2007 में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) और 2010 में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) का गठन किया गया. इसके अलावा सूखा प्रबंधन नीति, कृषि रोडमैप और सौर पंप परियोजनाओं से किसानों को सिंचाई की सुविधा दी गई.

अब तक 370 किलोमीटर नए तटबंध और 600 किलोमीटर तटबंधों के सुदृढ़ीकरण से लाखों हेक्टेयर जमीन को बाढ़ से सुरक्षित किया गया है. सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में बाढ़ और सूखे से स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाए.

यह भी पढ़ें- Pawan Singh को लेकर ये क्या कह गए खेसारी लाल, दूसरे चरण के मतदान से पहले सियासी पारा हाई

2025 Bihar assembly elections Bihar Election 2025 CM Nitish Kumar Bihar News Hindi Bihar News
Advertisment