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भागलपुर में 'ठेले' पर स्वास्थ्य महकमे का 'शव', यहां ठेले से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाई जाती है लाश !

भागलपुर में एक बार फिर से स्वास्थ्य महकमें की पोल खुली है. दरअसल, यहां रेलवे अस्पताल से एक लावारिश शव को पोस्टमार्टम के लिए एंबुलेंस की बजाय ठेले पर भेजा जाता है.

Updated on: 02 Jun 2023, 05:29 PM

highlights

  • रेलवे अस्पताल की बड़ी लापरवाही
  • लावारिश शव को ठेले पर भेजा
  • पोस्टमार्टम के लिए ठेले पर भेजा शव

Bhagalpur:

भागलपुर में एक बार फिर से स्वास्थ्य महकमें की पोल खुली है. दरअसल, यहां रेलवे अस्पताल से एक लावारिश शव को पोस्टमार्टम के लिए एंबुलेंस की बजाय ठेले पर भेजा जाता है. हद तो तब हो जाती है कि जिस ठेले से शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था उस ठेले के पहियों में ना तो हवा थी और ना ही उसमें ब्रेक था. इतना ही नहीं ठेला चलाने वाले मजदूरों के मुंह से शराब की बदबू आ रही है. कुल मिलाकर ये कहना सही होगा कि तस्वीरों में दिख रहा शव लावारिश शव नहीं है बल्कि भागलपुर स्वास्थ्य महकमें का 'शव' है.

एक तरफ जहां भारतीय रेलवे के चिकित्सा विभाग सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कई वायदे करते दिखती है वहीं दूसरी ओर रेलवे स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलती तस्वीर भागलपुर की सड़कों पर आए दिन देखने को  मिलती है. आज भी कुछ ऐसी ही तस्वीर भागलपुर की सड़कों पर देखने को मिली जहां एक अज्ञात शव को एक ठेले पर दो युवक खींचते हुए पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे थे, जिस ठेले पर शव रखा हुआ था उस ठेले में भी ना तो ब्रेक था और ना ही टायर में हवा, वही ठेला चालक और उसके सहयोगी के मुंह से शराब की भी बू आ रही थी.

ठेला चालक

ना रेलवे स्वास्थ्य कर्मी और ना ही पुलिस...

अज्ञात शव के साथ ना तो कोई रेलवे स्वास्थ्य विभाग के कर्मी थे और ना ही रेलवे पुलिस प्रशासन के कोई लोग. उत्तर प्रदेश के रहने वाले कृष्ण कुमार भागलपुर में रहकर ठेला चलाने का काम करते हैं और जितने भी रेलवे में अज्ञात शव मिलते हैं दो पैसों के लिए उसे अपने ठेले पर लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाता है. ठेला चालक और उसके सहयोगी का कहना है कि रेलवे के स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस ना होने की वजह से उनकी कमाई होती है. शवों को पोस्टमार्टम हाईस तक पहुंचाना पड़ता है और उसके बदले चंद पैसे मेहनताना के रूप में मिल जाते हैं. 

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जिम्मेदारों का क्या है कहना?

वैसे इस मामले में जब जिम्मेदारों से सवाल पूछे गए तो एक अलग ही बात निकलकर सामने आई है. मालदा डिवीजन की पीआरएम रूपा मंडल का कहना है कि भागलपुर रेलवे अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था है. इसके लिए रेलवे GRF को 5 हजार रुपये का भुगतान भी करती है और कहती है कि डेड बॉडी को शव वाहन पर लाद कर ले जाएं. लावारिस शव होने की अवस्था में उसका अंतिम संस्कार कराएं. जीआरएफ के द्वारा शव वाहन क्यों नहीं उपलब्ध कराया गया है हम इसकी जांच करेंगे. रेलवे इसे गंभीरता से ले रही है. राशि का भुगतान करने के बाद भी अगर इस तरह की अव्यवस्था सामने आई है तो जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ कार्रवीई की जाएगी. उन्होंने कहा कि राशि का भुगतान किए जाने के बाद भी यदि शव वाहन की व्यवस्था लावारिश शव के लिए नहीं कराई जा रही है तो कार्रवाई होगी. इस तरह की लापरवाहियों को बर्दाश्चत नहीं किया जाएगा.