सीएम ने बजट को लेकर कह दी बड़ी बात, बोले - नाम केंद्र का होता है और राज्य देता है पैसा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को कुछ भी नहीं मिला बल्कि जो योजना पहले से थी उसमें भी कटौती कर दी गई है. दूसरी तरफ बीजेपी संसद सुशील कुमार मोदी पर भी पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि वो तो बस अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं.
highlights
- जो योजना पहले से थी उसमें भी कर दी गई कटौती - मुख्यमंत्री
- केंद्र की योजनाओ में ही सारा पैसा हो जता है खत्म - मुख्यमंत्री
- सुशील मोदी निभा रहे हैं अपनी ड्यूटी - मुख्यमंत्री
Patna:
देश का आम बजट बुधवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. जिसमें कई बड़े बदलाव किये गए हैं. बजट के बाद से ही बिहार में नारजगी देखी जा रही है. जहां, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा था कि इस बार का बजट निल बटे सन्नाटा है. वहीं, अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि बिहार को कुछ भी नहीं मिला बल्कि जो योजना पहले से थी उसमें भी कटौती कर दी गई है. दूसरी तरफ बीजेपी संसद सुशील कुमार मोदी पर भी पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि वो तो बस अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. उनकी बताओं का कोई मतलब नहीं होता है.
सुशील मोदी पर जमकर बोला हमला
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बजट में बिहार के लिए कुछ भी नहीं किया गया है, बिहार को कुछ नहीं मिला है. हमारी जो मांग थी उसे भी नहीं पूरा किया गया है. वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी तो ड्यूटी ही है कुछ का कुछ बोलने की तो वो अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. वो जब हमारे साथ में काम कर रहे थे तो क्या किया किसी से छिपा है. पिछली बार जब NDA की सरकार बनी थी तो उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया जिसके बाद उन्हें बहुत ही दुख हुआ था. उन्हें लगता है कि ऐसे बयान वो देंगे तो उन्हें शायद बीजेपी कोई पद दे देगी. उनके बयानों का कोई अर्थ नहीं होता है.
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नामकरण केंद्र का होता है और पैसा राज्य का जाता है
वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने कहा की जो भी योजनाएं पहले से थी उसमे भी कटौती की गई है और जो योजना जनता के लिए जरूरी थी उसे तो खत्म ही कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि फिजिकल डेबिट में 4. 5 परसेंट मिले लेकिन वो भी नहीं दिया गया. केवल केंद्र की योजना पर धयान दिया गया लेकिन केंद्र की जो भी योजना होती है. उसमें पैसे तो राज्य का ही लगता है. ऐसे में केंद्र की योजनाओ में ही सारा पैसा खत्म हो जता है तो राज्य के पास बाकि योजना के लिए कुछ नहीं बचता है. अगर केंद्र की योजना बनाते है तो अपने दम पर बनाए नामकरण तो उनका हो रहा है मगर पैसा तो राज्य का ही जा रहा है. वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि राज्य अगर अपने विकास के लिए ऋण लेता है तो उसकी लिमिट बढ़ानी चाहिए तब ही तो किसी राज्य का विकास होगा लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया है.
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