Bihar: तेजस्वी यादव की बिहार यात्रा NDA की बढ़ाएगी टेंशन

Bihar: राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस नेताओं को काफी लाभ मिला और उन्होंने जनता का ध्यान खींचा. जबकि तेजस्वी यादव राहुल के साथ जरूर दिखे.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar: राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस नेताओं को काफी लाभ मिला और उन्होंने जनता का ध्यान खींचा. जबकि तेजस्वी यादव राहुल के साथ जरूर दिखे.

Bihar Politics: बिहार की राजनीति इन दिनों यात्राओं के सहारे गरमा रही है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा हाल ही में पूरी हुई थी, जिसमें उन्होंने 20 जिलों में करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय किया. इस यात्रा ने न केवल कांग्रेस संगठन को मजबूती दी बल्कि जनता के बीच कांग्रेस की मौजूदगी का एहसास भी कराया. अब इसी कड़ी में आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी अपनी बिहार अधिकार यात्रा शुरू करने जा रहे हैं.

तेजस्वी की यात्रा का शेड्यूल

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तेजस्वी यादव की यह यात्रा 16 सितंबर से जहानाबाद से शुरू होकर 20 सितंबर को वैशाली में खत्म होगी. पांच दिनों की इस यात्रा में वह 10 जिलों से होकर गुजरेंगे. इनमें नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल और समस्तीपुर जैसे इलाके शामिल हैं. खास बात यह है कि इन जिलों को बीजेपी और जेडीयू का गढ़ माना जाता है. ऐसे में आरजेडी की यह रणनीति साफ दिखती है कि तेजस्वी अपने कमजोर इलाकों में पैठ बनाना चाहते हैं.

क्यों निकाली गई यह यात्रा?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस नेताओं को काफी लाभ मिला और उन्होंने जनता का ध्यान खींचा. जबकि तेजस्वी यादव राहुल के साथ जरूर दिखे, लेकिन कांग्रेस का चेहरा भी उभरकर सामने आया. माना जा रहा है कि तेजस्वी अब अकेले यात्रा निकालकर अपनी पार्टी आरजेडी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं.

इस यात्रा के जरिए तेजस्वी यह संदेश भी देना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के निर्विवाद नेता हैं और जनता के बीच मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित हो चुके हैं. यही वजह है कि आरजेडी ने इस यात्रा को लेकर पार्टी सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों को विशेष रूप से सक्रिय किया है.

सियासी मायने

तेजस्वी यादव का यह कदम सीधे तौर पर नीतीश कुमार और बीजेपी को चुनौती देने जैसा है. उनकी यात्रा नालंदा (नीतीश का गढ़), बेगूसराय (गिरिराज सिंह का इलाका) और मधेपुरा-सुपौल (जहां पप्पू यादव का प्रभाव है) से होकर गुजरेगी. यानी तेजस्वी विपक्षी नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश करेंगे.

राहुल गांधी की यात्रा के 15 दिन बाद ही तेजस्वी का यह नया सफर साफ संकेत देता है कि बिहार की राजनीति में अब यात्राओं के जरिए ही माहौल तैयार होगा. आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही दल जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में जुट गए हैं. ऐसे में आने वाले चुनावों से पहले बिहार की सियासत और ज्यादा दिलचस्प होने वाली है.

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