Bihar News: बिहार सरकार की स्टार्टअप योजना राज्य के युवाओं, महिलाओं और वंचित समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है. उद्योग विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 1,522 स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं और 62 करोड़ 50 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है. खास बात यह है कि महिला और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के उद्यमियों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है. कुछ चयनित स्टार्टअप को अतिरिक्त रूप से 13 लाख 30 हजार रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई है.
योजना से कितना दिख रहा बदलाव
इस योजना के चलते बिहार की पारंपरिक कृषि प्रधान पहचान से इतर अब नवाचार और उद्यमिता की नई छवि उभर कर सामने आ रही है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्टार्टअप की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है, जो युवाओं में उद्यमशीलता की भावना को मजबूती प्रदान कर रही है.
युवाओं के लिए बड़ा अवसर
‘स्टार्टअप बिहार’ कार्यक्रम के अंतर्गत एक समग्र प्रणाली विकसित की गई है, जो किसी स्टार्टअप को उसकी स्थापना से लेकर विस्तार तक हर चरण में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करती है. यह योजना विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और समाज के पारंपरिक रूप से उपेक्षित वर्गों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है, जिससे राज्य के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है.
2017 में हुई थी शुरुआत
बिहार में स्टार्टअप नीति की शुरुआत 2017 में हुई थी. बाद में उद्यमी माहौल में आए बदलावों और स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 2022 में इसे संशोधित किया गया. नई नीति अधिक समावेशी, प्रभावी और तेज़ी से लागू होने वाली साबित हो रही है.
ये है इस नीति का उद्देश्य
इस नीति का प्रमुख उद्देश्य बिहार के युवाओं की प्रतिभा को दिशा देना और राज्य को स्टार्टअप, निवेशकों और अन्य हितधारकों के लिए पसंदीदा गंतव्य बनाना है. उद्योग विभाग द्वारा समय-समय पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम, पुरस्कार और अभियान नवाचार की संस्कृति को मजबूत बना रहे हैं.
उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने बताया कि सरकार स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए हर स्तर पर सहायता दे रही है. इससे युवाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल रहा है, बल्कि वे अपने सपनों को भी साकार कर पा रहे हैं.
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