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अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर श्रीराम के ससुराल में खास तैयारी

अयोध्या से हर साल जब भगवान राम की बारात निकलती है तो यहां से होकर जनकपुर राजा जनक के राजमहल जाती है. अब जब भगवान राम का मंदिर बनेगा तो वहन माता सीता भी होंगी, फिर उनके जन्मस्थली की मिट्टी कैसे ना हो.

Updated on: 27 Jul 2020, 03:02 PM

सीतामढ़ी:

अयोध्या (Ayodhya) में भगवान श्रीराम के मंदिर (Ram Mandir) निर्माण को लेकर उनके ससुराल मां जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी में खास तैयारी हो रही है. राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण के लिये सीतामढ़ी माता जानकी से जुड़े स्थान से मिट्टी इकट्ठा कर भेजा जा रहा है. बिहार का सीतामढ़ी माता जानकी की जन्मस्थली है. यहां ही राजा जनक को खेत में माता सीता मिलीं. यहां के लोग इसे भगवान राम का ससुराल कहते हैं. अयोध्या से हर साल जब भगवान राम की बारात निकलती है तो यहां से होकर जनकपुर राजा जनक के राजमहल जाती है. अब जब भगवान राम का मंदिर बनेगा तो वहन माता सीता भी होंगी, फिर उनके जन्मस्थली की मिट्टी कैसे ना हो.

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सीतामढ़ी के जानकी मंदिर में विशेष आयोजन किया गया है. यहां पर पहले पूरे विधि विधान से चांदी के थाल में मंदिर परिसर से मिट्टी इकट्ठा की गई. फिर इसे सिर पर रख माता जानकी के पास पूजन को ले जाया गया. जानकी मंदिर के पुजारी ने विशेष पूजा अर्चना की. कोरोना संकट का लॉकडाउन के कारण कम लोगों को अनुमति मिली थी. इस मंदिर के व्यवस्थापक ने बताया की राम जन्मभूमि न्यास समिति में बात हो गयी है. इसे यहां से भेज दिया जाएगा और इसका इस्तेमाल भूमि पूजन के वक़्त होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) 5 अगस्त को राममंदिर की आधारशिला रखेंगे. यहां के लोग काफी उत्साहित हैं कि उनके घर की बेटी का महल बन रहा है.

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रामजन्मभूमि में मंदिर निर्माण का संघर्ष के कई वर्ष का रहा है. जिसमे मां सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी के हज़ारों लोगों ने अपनी आहुति दी थी. यहां के लोग बताते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन में सीतामढ़ी से ही शिला पूजन की शुरुआत हुई थी. साल 1984 में देश भर के साधु संतों का जमावड़ा लगा था जिन्होंने यहां से एक रथ यात्रा राम मंदिर निर्माण को निकाली थी. यह यात्रा तत्कालीन प्रधानमंत्री की मौत के बाद रुक गयी. अब लोग उस यात्रा से जुड़ी कहानी बताते हैं कि कैसे हर घर से सवा रुपए और एक ईंट दान में मंदिर निर्माण के लिये उस वक़्त लिया गया था.