बिहार के विश्वविद्यालयों में सेशन लेट की परंपरा चल पड़ी है. यहां 3 वर्ष के ग्रेजुएश की पढ़ाई के लिए छात्रों को 5 वर्ष का समय देना पड़ता है. लेटलतीफी के बाद छात्र विश्वविद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं. छपरा विश्वविद्यालय में लेट लतीफी सेशन में काफी सुधार के बावजूद भी सेशन अभी भी 3 साल 4 माह विलंब है, जिसको लेकर छात्र परेशान है. यहां हर वर्ष नियमित रूप से इंटर की परीक्षा हो जाती है, लेकिन जैसे ही छात्र ग्रेजुएशन में प्रवेश करते हैं, उनका एक वर्ष तो नामांकन के चक्कर में ही बीत जाता है. यह हालत सिर्फ एक विश्वविद्यालय की नहीं है बल्कि प्रदेश के कई विवि की यही हालत है.
2018-2019 सत्र में कोई परीक्षा ही नहीं हुई
विश्वविद्यालय में सेशन तो पहले ही लेट चल रहा था, उसके बाद जब 2017-2020 सत्र में छात्रों ने नामांकन लिया तो सीट से अधिक नामांकन को लेकर चले विवाद में वर्ष 18-19 में कोई परीक्षा ही नहीं ली गई. इसके बाद कोविड को लेकर भी वर्ष 2020-2021 में कोई परीक्षा नहीं ली गई.
सत्र 2018-21 में तृतीय खंड की परीक्षा तो कंप्लीट हुई, जिसका रिजल्ट दिसंबर 2022 में होना था, अभी तक लटका हुआ है.
2019-22 सत्र में पार्ट टू की परीक्षा हुई, लेकिन आज तक रिजल्ट नहीं आया जबकि पार्ट थी की परीक्षा हो जाना चाहिए थी.
2020 -23 सत्र में अभी तक पार्ट वन का परीक्षा हो रहा है, जबकि उसका अब फाइनल एग्जाम होना चाहिए था.
2021-24 सत्र में अभी तक रर्जिस्ट्रेशन शुरू भी नहीं हुआ है और ना ही पार्ट वन पंजीयन ही हुआ है, जबकि इसमें पार्ट टू का अब तक एग्जाम होना चाहिए.
2022-25 सत्र में जुलाई में एडमिशन खत्म होना चाहिए, जिसमें अभी तक नामांकन चल रहा है, जिससे एक वर्ष वैसे ही लेट है.
तीनों संकाय मिलाकर स्टूडेंट है, किस संकाय में कितनी सीट
- मानविकी संकाय-7440
- सामाजिक विज्ञान संकाय-10096
- विज्ञान संकाय-15793
विश्वविद्यालय के अंदर कुल 31 कॉलेज आते हैं. इसमें अंगीभूत (सरकारी) 21 कॉलेज जबकि संबद्ध (प्राइवेट)10 कॉलेज हैं.
रिपोर्टर- बिपिन कुमार मिश्रा
HIGHLIGHTS
- बिहार में राम भरोसे शिक्षा
- 3 साल की पढ़ाई 5 साल में
- विश्विद्यालय का हाल बेहाल
- छात्र लगा रहे विवि के चक्कर
Source : News State Bihar Jharkhand