बिहार के जमुई से ऐसी तस्वीरें सामने आई है, जिसने बिहार के शिक्षा व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है. जहां जर्जर स्कूल अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहा है, तो वहीं छात्र और शिक्षक डर के साए में पढ़ने और पढ़ाने को मजबूर हैं. जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर बरहट प्रखंड के नूमर गांव का उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय जर्जर खंडहर में तब्दील हो चुका है. स्कूल का छत जर्जर होने के कारण कभी बच्चे तो कभी शिक्षकों पर छत की ढलाई टूट कर गिरती है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस स्कूल में पढ़ना हादसे को दावत देने जैसा है.
जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर छात्र
एक तरफ अपनी जान को हथेली पर रखकर बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. दूसरी ओर अधिकारियों को ना तो छात्रों के भविष्य की चिंता है और ना ही उनकी सुरक्षा की. ऐसा नहीं है कि स्कूल के बदहाली की जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारी को नहीं है. बावजूद अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं. स्कूल प्रबंधन की ओर से बार-बार विभाग को कई बार इसकी जानकारी दी गई है. स्कूल भवन को दुरुस्त कराने की अपील की गई है, लेकिन विभाग की ओर से आजतक कोई पहल नहीं की गई है. अधिकारी स्कूल के निरीक्षण के लिए भी आते हैं, लेकिन हालात को देखने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है.
शिकायत के बाद भी अधिकारी नहीं कर रहे सुनवाई
सिर्फ बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे करना ही काफी नहीं है, उसे अमल में लाना भी जरूरी है. भले ही शिक्षा मंत्री और अधिकारी स्कूल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पहल कर रहे हैं, लेकिन क्या ये पहल काफी है क्योंकि बिहार के हर जिले और हर गांव में स्कूलों की हालत यही है. अगर सरकारी स्कूल यूं ही बदहाल रहेंगे, तो बिहार का भविष्य कैसे बन पाएगा.
HIGHLIGHTS
- जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर छात्र
- स्कूल में कभी भी हो सकता है हादसा
- भगवान भरोसे छात्रों की सुरक्षा
Source : News State Bihar Jharkhand