इस गांव में आज तक नहीं बनी सड़क और पुलिया, नाव ही लोगों का एक मात्र सहारा

आज हमारा देश विकास की ओर आगे बढ़ रहा है. हर जगह पक्की सड़क नजर आती है, लेकिन बिहार में एक ऐसा भी जिला है. जहां आज तक ना तो सड़क बनी है और ना ही पुल. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोगों के पास केवल ही सहारा है और वो नाव है. मधुबनी के मधेपुर प्रखंड को अब तक लोगों को नाव से आजादी नहीं मिली है. गांव तक जाने के लिए एक पुल तक नहीं बना है.

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Rashmi Rani
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नाव से जाते लोग ( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

आज हमारा देश विकास की ओर आगे बढ़ रहा है. हर जगह पक्की सड़क नजर आती है, लेकिन बिहार में एक ऐसा भी जिला है. जहां आज तक ना तो सड़क बनी है और ना ही पुल. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोगों के पास केवल ही सहारा है और वो नाव है. मधुबनी के मधेपुर प्रखंड को अब तक लोगों को नाव से आजादी नहीं मिली है. गांव तक जाने के लिए एक पुल तक नहीं बना है. आज भी लोगों की जिंदगी नाव के सहारे ही चल रही है. आज भी मधुबनी जिला का मधेपुर प्रखंड एक पुल की आस लगाये सरकार के तरफ टकटकी लगाए देख रहा है.

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पुल की आस में बैठे हैं लोग 

हैरानी की बात तो ये है कि ऐसा क्षेत्र जिसके अगल बगल संजय झा और शिला मंडल जैसे मंत्री हैं, लेकिन इसके बाद भी आज तक लोग पुल की आस में बैठे हैं. बता दें कि मधेपुर प्रखंड के अंतर्गत कोसी दियारा इलाके के गोद में बसे हुए भरगामा पंचायत गढ़ गांव तथा बकुआ पंचायत का है. जहां आजादी के 7 दशक बीत जाने के बावजूद भी आज तक गांव पहुंचने के लिए सड़क व पुल नहीं बना है. गांव जाने के लिए सड़क एवं पुल नहीं होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जबकि इन सभी गांव की दूरी प्रखंड मुख्यालय से महज 10 से 12 किलोमीटर है.

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झूठा आश्वासन देकर चले जाते हैं मंत्री 

आज भी गांव में किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर पीड़ीत को चार पाई पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. ग्रामीण ने बताया कि किसी महिला को अगर प्रसव पीड़ा हो जाए या कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाए तो इलाज के अभाव में नदी के किनारे आते आते ही अपना दम तोड़ देते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय में नेताओं के द्वारा नदी में पुल व सड़क बनाने का झूठा आश्वासन दिया जाता है. परंतु चुनाव बीतने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि यहां के लोगों की सुध लेने तक नहीं आते हैं. मालूम हो कि हजारों की संख्या में इस क्षेत्र के लोग अपने रोजमर्रा काम के लिए प्रखंड मुख्यालय अस्पताल हाट बाजार तथा अन्य सभी काम के लिए नाव का ही सहारा लेते हैं. वो भी प्राइवेट नाव का क्योंकि सरकारी नाव की कोई व्यवस्था यहां नहीं है.

रिपोर्ट - प्रशांत झा 

HIGHLIGHTS

  •  गांव तक जाने के लिए एक पुल तक नहीं बना 
  • लोगों को नाव से नहीं मिली आजादी 
  • लोगों के पास केवल नाव ही है एक सहारा  
  • पुल की आस में बैठे हैं लोग 
  • झूठा आश्वासन देकर चले जाते हैं मंत्री 

Source : News State Bihar Jharkhand

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